'पाकिस्तान में भारत की सबसे बड़ी पूंजी है वहां की...', पीएम मोदी-मनमोहन सिंह का जिक्र कर क्यों बोले मणिशंकर अय्यर?
Mani Shankar Aiyar Remarks: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि पीएम मोदी से पहले देश के प्रधानमंत्री किसी ना किसी तरीके से पाकिस्तान के लोगों से बात करने की कोशिश करते थे.
Mani Shankar Aiyar On Pakistan: पूर्व राजनयिक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की बहाली की पैरवी करते हुए कहा है कि जब तक यह पड़ोसी देश ‘हमारे गले की फांस बना रहेगा’ तब तक भारत दुनिया में अपना उचित स्थान हासिल नहीं कर सकेगा.
पाकिस्तान के वाणिज्यिक शहर कराची में दिसंबर, 1978 से जनवरी, 1982 तक भारत के महावाणिज्यदूत रहे अय्यर ने अपनी आत्मकथा ‘मेमॉयर्स ऑफ ए मेवरिक’ में पाकिस्तान में बतौर राजनयिक अपने कार्यकाल को एक पूरा अध्याय समर्पित किया है. उनकी यह नई पुस्तक सोमवार(21 अगस्त) को बाजार में बिक्री के लिए आई.
मणिशंकर अय्यर ने क्या कहा?
‘जगरनॉट बुक्स’ प्रकाशित अपनी इस पुस्तक के संदर्भ में अय्यर ने कहा कि उनके नौकरशाही के करियर का उच्चतम पड़ाव पाकिस्तान में उनकी महावाणिज्यदूत के रूप में था और उन्होंने कराची में अपने तीन सालों की राजनयिक सेवा के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान में भारत की ‘सबसे बड़ी पूंजी’ वहां की जनता है जो भारत को दुश्मन देश नहीं मानते.
अय्यर ने बताया, ‘‘पाकिस्तान में बतौर राजनयिक तैनाती के पहले 2-3 हफ्तों के भीतर हम एक दिन रात्रिभोज से वापस आ रहे थे, उस समय मेरी पत्नी सुनीत ने मुझसे एक सवाल पूछा कि 'यह एक दुश्मन देश है? यह सवाल कराची में रहने के दौरान मेरे में दिमाग गूंजता रहा.’’
उनका कहना था, ‘‘मैंने वहां अपने तीन वर्षों के दौरान खुद से यह सवाल पूछा. पाकिस्तान से वापस आने के बाद पिछले 40 वर्षों में मैं खुद से यह सवाल पूछता रहा. मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि वहां की सेना या राजनीतिक व्यवस्था के किसी भी वर्ग का दृष्टिकोण कुछ भी हो, जहां तक पाकिस्तान के लोगों का सवाल है, वे न तो दुश्मन देश हैं और न ही वे भारत को दुश्मन देश मानते हैं.’’
पाकिस्तान का किया जिक्र
अय्यर ने कहा, ‘‘हर बार जब हम (पाकिस्तानी) सरकार के प्रति अपनी अस्वीकृति प्रदर्शित करना चाहते हैं तो वीजा रोक दिया जाता है, फिल्में रोक दी जाती हैं. किताबें रोक दी जाती हैं, यात्रा रोक दी जाती है, इसलिए मुझे समझ नहीं आता कि हम क्यों नहीं जानते कि कैसे कूटनीतिक दृष्टिकोण के अभिन्न अंग के रूप में पाकिस्तान के लोगों की सद्भावना का लाभ उठाया जाए. ’’
उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों से भारत और पाकिस्तान के बीच सभी तरह के संवाद बंद हैं.
पीएम मोदी का किया जिक्र
अय्यर का कहना है, ‘‘जब तक (नरेंद्र) मोदी भारत के प्रधानमंत्री नहीं बने थे, लगभग हर प्रधानमंत्री, अगर उनके पास समय होता था तो पाकिस्तानियों के साथ किसी न किसी तरह की बातचीत का प्रयास करते थे, लेकिन अब हम ठहर गए हैं. इस ठहराव का शिकार पाकिस्तान की सेना नहीं है जो अपने आप में मदहोश है, बल्कि असल शिकार पाकिस्तान के लोग हैं जिनके रिश्तेदार बड़ी संख्या में भारत में रहते हैं और बहुत सारे लोग हमारे देश का दौरा करना चाहते हैं. ’’
अय्यर ने कहा कि कराची में अपने राजनयिक कार्यकाल के दौरान उन्होंने तीन लाख वीजा जारी किए और दुरुपयोग की एक भी शिकायत नहीं मिली.
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का किया जिक्र
साल 1989 में भारतीय विदेश सेवा छोड़ने वाले पूर्व राजनयिक अय्यर ने कहा, ‘‘हम पाकिस्तानी लोगों को क्यों निशाना बना रहे हैं? आप चाहें तो पाकिस्तानी प्रतिष्ठान को निशाना बना सकते हैं, लेकिन जहां तक लोगों का सवाल है, वे हमारी सबसे बड़ी पूंजी हैं.’’
उनके मुताबिक, ‘‘यह डॉक्टर मनमोहन सिंह ही थे जिन्होंने स्पष्ट रूप से दिखाया कि यदि आप पाकिस्तानियों से जनता की नजरों से दूर रहकर निर्बाध तरीके से बात करते हैं, तो आप कश्मीर के मुद्दे को भी हल कर सकते हैं. आखिरकार, चार सूत्रीय समझौता हुआ था जो मसौदे के रूप में तैयार किया गया था और उस पर वस्तुतः सहमति व्यक्त की गई थी...(परवेज़) मुशर्रफ की सरकार मुश्किल में पड़ गई और फिर गिर गई, इसलिए बातचीत बाधित हुई.’’
अय्यर ने कहा, ‘‘हमें यह समझने की जरूरत है कि पाकिस्तान के साथ किसी भी बातचीत में झटके लगेंगे, इसमें समय लगेगा और हमें पाकिस्तान के साथ ठोस संबंध स्थापित करने के लिए धैर्य और दृढ़ता रखने की जरूरत है. ’’
उनका कहना था, ‘‘जब तक पाकिस्तान हमारे गले की फांस बना रहेगा, तब तक हम दुनिया में अपना उचित स्थान हासिल नहीं कर पाएंगे. ’’
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