Congress LOP In Gujarat: गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल कर ली है. गुरुवार को आए नतीजों में बीजेपी ने 52.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 156 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं कांग्रेस इस चुनाव में महज 17 सीटों पर ही सिमट गई. ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कुल सीटों का 10 प्रतिशत से भी कम हासिल करने पर कांग्रेस गुजरात में विपक्ष के नेता का पद भी खो देगी? चलिए आपको बताते हैं कि ऐसी स्थिति में नियम क्या कहते हैं.
दरअसल, कांग्रेस (Congress) ने गुजरात में सिर्फ 17 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि नियम के मुताबिक विधानसभा में विपक्ष का नेता (Leader Of Opposition) बनने के लिए पार्टी के पास 10 प्रतिशत सीटें होनी चाहिए. गुजरात के संदर्भ में कम से कम 19 सीटें चाहिए, लेकिन कांग्रेस के पास 2 सीटें कम हैं. ऐसे में मुमकिन है कि कांग्रेस गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद खो देगी.
कांग्रेस के साथ पहली बार नहीं हुआ ऐसा
बता दें कि केंद्र में भी कांग्रेस दो राष्ट्रीय चुनावों (National Elections) 2014 में और दूसरा 2019 में एक विपक्ष का नेता नहीं भेज सकी, क्योंकि उसने 2014 में केवल 44 और 2017 में 52 सीटें जीतीं. कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खरगे को नेता प्रतिपक्ष बनाने की कोशिश की थी, लेकिन तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने नियमों का हवाला देते हुए इस पर रोक लगा दी थी. संसद में नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए पार्टी को 55 सीटों की जरूरत होती है.
क्यों अहम होता है नेता प्रतिपक्ष?
उल्लेखनीय है कि सदन में नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री के बराबर का दर्जा और सुविधाएं दी जाती हैं. साथ ही विधानसभा में बैठने के लिए विपक्ष की कतार में सबसे आगे की सीट भी अलॉट की जाती है. नेता प्रतिपक्ष की मुख्य भूमिका मौजूदा सरकार से सवाल करना और उन्हें जनता के प्रति जवाबदेह ठहराना है. यह सत्ता पक्ष की गलतियों को ठीक करने में भी मदद करता है. लोगों के सर्वोत्तम हितों को बनाए रखने में नेता प्रतिपक्ष भी उतना ही जिम्मेदार है.
1985, 2002, 2017 और 2022 के नतीजे
भारतीय जनता पार्टी ने 2017 में 49 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 99 सीटें जीती थीं. वहीं इस बार 2022 में 52.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ बीजेपी ने 156 सीटों पर कब्जा किया है. बीजेपी ने 1995 से राज्य पर शासन कर रही है. पार्टी ने 1985 का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है, जब कांग्रेस ने माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में 149 सीटों पर जीत हासिल की. इसी के साथ बीजेपी ने अपना खुद का 2002 का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है, जब मोदी के नेतृत्व में पार्टी ने 127 सीटों पर जीत हासिल की थी.