लखनऊः यूपी में कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह की दूरी पार्टी से लगातार बढ़ती ही जा रही है. बीते कुछ महीनों से अदिति कांग्रेस की लाइन से अलग होकर चल रही हैं. वहीं पार्टी ने अबतक उन्हें पार्टी की सदस्यता से तो नहीं हटाया है लेकिन विधानसभा की सदस्यता ख़त्म करने का आवेदन कांग्रेस की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष के पास लंबित है.
इसी बीच अदिति सिंह ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से पार्टी कांग्रेस का नाम यानी आईएनसी हटा लिया है. आईएनसी हटने के बाद अब उनके ट्विटर अकाउंट पर सिर्फ रायबरेली सदर विधायक अदिति सिंह लिखा है. अभी हाल ही में अदिति ने कांग्रेस पर अन्य राज्यों से लाए जा रहे मज़दूरों के मामले में ट्विटर पर ही निशाना साधा था.
आपको बता दें कि अदिति सिंह बाहुबली नेता और रायबरेली में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे अखिलेश सिंह की बेटी हैं और 2017 के विधानसभा चुनाव में रायबरेली सदर से वो जीतकर विधानसभा पहुंचीं. हालांकि पिता के निधन के बाद से लगातार अदिति की नजदीकियां बीजेपी से देखी जा रही है.
अदिति की बगावत कोई नई नहीं है. विधायक अदिति सिंह ने पिछले साल गांधी जयंती के मौके पर कांग्रेस की तरफ से मना किए जाने के बावजूद यूपी की योगी सरकार की तरफ से बुलाये गए विधानसभा के विशेष सत्र में हिस्सा लिया था. इसके बाद कांग्रेस नेतृत्व ने अदिति के इस कदम को गलत माना था. कांग्रेस की तरफ से अदिति की बगावत को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को एक आवेदन भी दिया गया है, जिसपर अबतक कोई फ़ैसला नहीं हो पाया है.
हाल ही में अदिति ने अपने ट्वीट में लिखा था - "आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत, एक हजार बसों की सूची भेजी, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा, 297 कबाड़ बसें, 98 ऑटो रिक्शा व एबुंलेंस जैसी गाड़ियां, 68 वाहन बिना कागजात के, ये कैसा क्रूर मजाक है, अगर बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यूं नहीं लगाई. कोटा में जब यूपी के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं ये तथाकथित बसें, तब कांग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए, बार्डर तक ना छोड़ पाई, तब सीएम योगी ने रातों रात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया, खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी."
आपको बता दें कि कांग्रेस अदिति को अपनी पार्टी का सदस्य नहीं मानती लेकिन आधिकारिक तौर पर पार्टी से अबतक उनका निलंबन नहीं किया गया है. इसकी साफ़ वजह है कि पार्टी से निष्कासन होने पर अदिति निर्दलीय विधायक मान ली जाएंगी और विधानसभा के तमाम नियम उनपर लागू नहीं होंगे. कांग्रेस इसीलिए बिना निलंबित किये अदिति की विधानसभा सदस्यता ख़त्म कराना चाहती है ताक़ि सोनिया गांधी की सीट पर फिर से चुनाव हो. अगर कांग्रेस अदिति को बाहर का रास्ता दिखाती है तो अदिति पर न व्हिप लागू होगा, न दल बदल कानून और तब अदिति बिना अड़चन के बीजेपी का दामन थाम सकती हैं. ऐसे में कांग्रेस के चुनिंदा विधायकों में एक विधायक कम हो चुका है, बस औपचारिकता बाक़ी है.
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