Privileges Committee Lok Sabha: कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपने निलंबन को लेकर बयान दिया है कि लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने नियमों के तहत यह निर्णय लिया है. इसके बाद अगर समिति मुझे अपनी बात रखने का मौका नहीं देती तो मेरे पास अदालत का दरवाजा खटखटाने का भी विकल्प है. बहरहाल मुझे उम्मीद हैं कि लोकसभा के सभापति मुझे अपनी बात रखने का मौका अवश्य देंगे. 


वहीं दूसरी ओर संसद की विशेषाधिकार समिति ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के निलंबन को शुक्रवार 18 अगस्त को विचार-विमर्श किया. अधीर रंजन को लोकसभा में की गई कुछ टिप्पणियों और आचरण को लेकर मानसून सत्र के दौरान निलंबित कर दिया गया था. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब उन्हें इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए 30 अगस्त को होने वाली समिति की अगली बैठक में बुलाया जाएगा.


निलंबन को निरस्त करने की सिफारिश कर सकती है समिति


सूत्रों ने बताया कि बैठक में एक आम राय बनी कि स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत के तहत उन्हें (अधीर रंजन चौधरी) अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए. एक अन्य सदस्य ने यह विचार भी व्यक्त किया कि सत्र की (मानसून) शेष अवधि के लिए निलंबित करके सदस्य को पहले ही दंडित किया जा चुका है. ऐसे में दोबारा दंड देने का कोई औचित्य नहीं है. ऐसा माना जा रहा है कि समिति, अगली बैठक में चौधरी का पक्ष सुनने के बाद उनके निलंबन को निरस्त करने की लोकसभा अध्यक्ष को सिफारिश करने के पक्ष में है.


समिति की अगली बैठक 30 अगस्त को होने की संभावना


समिति की अगली बैठक 30 अगस्त को होने की संभावना है. सूत्रों के अनुसार, कई सदस्यों का विचार था कि चौधरी को उनके आचरण के लिए पहले ही दंडित किया जा चुका है. बैठक के दौरान समिति के भाजपा सदस्यों का इस मुद्दे पर नरम रुख था. बैठक में समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद सुनील सिंह के अलावा कांग्रेस केके. सुरेश, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, द्रमुक के टीआर. बालू, भाजपा के जनार्द्धन सिंह सिग्रीवाल, राजू बिष्ट, दिलीप घोष, राजीव प्रताप रूड़ी आदि शामिल हुए.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर सदन में की थी टिप्पणी


हाल ही में संपन्न संसद के मानसून सत्र में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर की गई कुछ टिप्पणियों और उनके आचरण के कारण 10 अगस्त को सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया था. इसके साथ ही उनके खिलाफ इस मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया गया था. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इससे जुड़ा एक प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया था, जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी थी. इससे पहले, कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर चुके थे.


कांग्रेस ने निलंबन को अलोकतांत्रिक और निरंकुश कदम करार दिया था


प्रस्ताव के अनुसार, विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक कांग्रेस नेता चौधरी सदन की कार्यवाही से निलंबित रहेंगे. कांग्रेस ने अधीर रंजन चौधरी को निलंबित किए जाने को अलोकतांत्रिक’ और ‘निरंकुश’ कदम करार दिया था. वहीं, चौधरी ने कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री का अपमान नहीं किया, बल्कि उदाहरण के तौर पर कुछ शब्दों का इस्तेमाल किया था.


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