Congress On PM Modi: केंद्र की सत्ता में काबिज मोदी सरकार ने 58 साल पुराने सरकारी आदेशों को वापस ले लिया है. इस आदेश में सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में भाग लेने पर रोक थी. मोदी सरकार के इस फैसले पर अब सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने फैसले पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा, "यह बहुत अजीब है... RSS का काम और सरकारी काम अलग-अलग हैं, दोनों एक साथ नहीं होने चाहिए और नरेंद्र मोदी सरकार ने 10 साल तक इस नियम को नहीं बदला, फिर अब आप इसे क्यों बदल रहे हैं?"


न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में केरल से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की जिम्मेदारी है कि वे सबके लिए काम करें, पूरे देश के लिए काम करें. उन्होंने कहा कि ये उचित नहीं है, सेवा से रिटायरमेंट होने के बाद आप जो चाहें कर सकते हैं, लेकिन, जब आप सरकार में हैं तो आपको तटस्थ रहना चाहिए. 


9 जुलाई को आया आदेश


कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा 9 जुलाई को जारी एक आदेश एक्स पर शेयर किया था. जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी से संबंधित है. इस आदेश में कहा गया है, ‘उपर्युक्त निर्देशों की समीक्षा की गई है और यह फैसला लिया गया है कि 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के संबंधित कार्यालय ज्ञापनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उल्लेख हटा दिया जाए.’


इस आदेश की कॉपी को शेयर करते हुए उन्होंने आगे कहा कि फरवरी 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया. इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया.






जानिए RSS ने क्या कहा?


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने एक बयान में कहा कि अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था. शासन का वर्तमान फैसला समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है.


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