नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लोकसभा में कोरोना से लेकर किसान आंदोलनों तक हर एक मुद्दों पर अपनी बात रखी. इस दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नए कृषि कानूनों के लागू होने के बाद देश में न कहीं मंडियां बंद हुई है और न ही एमएसपी खत्म हुआ है.
इस दौरान कांग्रेस के सांसद कृषि कानून वापस लो-वापस लो के नारे लगाते रहे. वहीं स्पीकर उन्हें शांत होने की सलाह देते नजर आए. वहीं प्रधानमंत्री ने हंगामे पर कहा कि ये हो-हल्ला और रुकावटें डालने का प्रयास सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है. रणनीति ये है कि जो झूठ फैलाया है उसका पर्दाफाश न हो जाए. इससे लोगों का आप (कांग्रेस) विश्वास नहीं जीत पाएंगे.
फिर भी हंगामा नहीं थमा. पीएम मोदी ने कहा, ''दादा (कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी) ये ज्यादा हो रहा है, बंगाल में आपको टीएमसी से ज्यादा पब्लिसिटी मिल जाएगी. अधीर रंजन जी प्लीज. हम इतना आदर करते हैं आपकी. हद से ज्यादा क्यों कर रहे हैं आप?''
पीएम मोदी ने आगे कहा, ''ये नया कानून किसी के लिए बंधन नहीं है. इसमें ऑप्शन है. कोई कहीं भी सामान बेच सकता है.''
पीएम मोदी ने लोकसभा में भी आंदोलनजीवी शब्द का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा, ''आंदोलन का नया तरीका है. आंदोलनकारी ऐसे तरीके नहीं अपनाते हैं, आंदोलनजीवी ही ऐसे तरीके अपनाते हैं. उनका कहना होता है कि ऐसा होगा तो ऐसा हो जाएगा. जो हुआ नहीं उसका डर फैलाया जा रहा है. यह चिंता का विषय है. यह देश की चिंता का विषय है.''
कृषि कानूनों की मांग ही नहीं तो दिया क्यों? पर पीएम का जवाब
पीएम मोदी ने आगे कहा, ''एक तर्क दिया जा रहा है कि जब हमने कृषि कानूनों की मांग ही नहीं की तो दिया क्यों? पहली बात है कि कानून का लाभ लेना और नहीं लेना आपकी मर्जी है. ऑप्शनल है. मांगा और दिए का कोई मतलब नहीं है. इस देश में दहेज के खिलाफ कानून बने ये किसी ने नहीं मांग की थी. तीन तलाक कानून की मांग किसी ने नहीं की थी फिर भी कानून बने. बाल विवाह के खिलाफ कानून बने ये किसी ने मांग नहीं की थी. शिक्षा के अधिकार की मांग किसी ने नहीं की फिर भी कानून बनाए गए.''
पीएम मोदी के बयान के बीच हंगामा होता रहा. इसके बाद कांग्रेस के सांसद वॉकआउट कर गए. सदन में राहुल गांधी भी मौजूद थे. बाद में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी भी वॉकआउट कर गई.
पीएम मोदी ने कहा, ''हम ये मानते थे कि हिंदुस्तान की बहुत पुरानी पार्टी, जिसने 6 दशक तक शासन किया. ये पार्टी का ऐसा हाल हो गया है कि पार्टी का लोकसभा का तबका एक तरफ चलता है और राज्यसभा का तबका दूसरी तरफ चलता है. ऐसी कन्फ्यूज पार्टी न तो खुद का भला कर सकती है और न ही देश की समस्या का समाधान के लिए कुछ सोच सकती है. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा?
कोरोना से लेकर किसानों के आंदोलन तक, लोकसभा में पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें