नई दिल्ली: यूपी निकाय चुनाव के घोषित परिणामों में कांग्रेस के लिए बेहद निराशाजनक है. परिणामों के बीच पार्टी ने कहा कि ये चुनाव स्थानीय मुद्दों के आधार पर लड़े जाते हैं और अधिकतर इनमें उसी दल को अधिक सफलता मिलती है जिसकी संबंधित राज्य में सरकार हो.


यूपी में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस को भारी निराशा हाथ लगी है विशेषकर राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में पड़ने वाली सीटों पर बीजेपी एवं अन्य दलों ने जीत दर्ज की है. कांग्रेस को जायस एवं गौरीगंज नगर पालिका चुनाव में हार का सामना करना पड़ा वहीं अमेठी एवं मुसाफिर नगर पंचायतों में पार्टी ने अपने उम्मीदवार ही नहीं खड़े किए थे.


इस बारे में प्रश्न किए जाने पर कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, "अभी पूरे नतीजे नहीं आए हैं. हम इन नतीजों का निष्पक्ष ढंग से विश्लेषण करेंगे और जो भी सबक लेना होगा हम लेंगे." उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी "जहां भी हारी है, वहां की जिम्मेदारी लेंगे."


तिवारी ने कहा, "अधिकतर यह देखने में आता है कि प्रदेश में जिस (दल) की सरकार हो, स्थानीय निकाय के नतीजे भी उसी के पक्ष में आते हैं. आप इतिहास देख सकते हैं."  सुझाव को मानने से इंकार कर दिया कि कांग्रेस जिन नोटबंदी एवं जीएसटी के मुद्दों को उठा रही है, यूपी की जनता ने उन्हें नकार दिया. तिवारी ने कहा, "जनता समझदार होती है. वह यह जानती है कि स्थानीय मुद्दे कौन से होते हैं तथा प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कौन से." तिवारी ने कहा कि नोटबंदी एवं जीएसटी के कारण देश के असंगठित क्षेत्र पर सबसे अधिक विपरीत असर पड़ा है. उन्होंने दावा किया कि इन दोनों मुद्दों का गुजरात के चुनावों में असर देखने को मिलेगा क्योंकि इससे असंगठित क्षेत्र में बहुत से लोगों के रोजगार चले गये हैं.


पूर्व केन्द्रीय मंत्री तिवारी ने साथ यह भी कहा कि यदि स्थानीय निकायों के चुनाव राज्य आयोग की जगह भारतीय निर्वाचन आयोग करवाये तो यह और भी बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 2007 में पंजाब के स्थानीय निकाय चुनावों के बाद इस बारे में चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपकर इसकी मांग भी की थी.