नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्षी दलों के महाभियोग के फैसले पर सस्पेंस बरकरार है. कांग्रेस ने कहा है कि वह महाभियोग के मुहिम में शामिल नहीं है. हालांकि कांग्रेस ने इससे इनकार भी नहीं किया है. महाभियोग को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि इस बात में दम नहीं है.


वहीं कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस संबंध में विपक्ष की कुछ पार्टियों ने कांग्रेस से संपर्क किया है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने इससे जुड़ा कोई मसौदा ना तो बनाया है ना ही बांटा है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने महाभियोग के मुद्दे पर अभी अपना मन नहीं बनाया है लेकिन पूरी तरह से इनकार भी नहीं किया है. कांग्रेस सम्भवतः इसी बात की अंदाजा लेना चाह रही है कि अगर वो खुल कर महाभियोग के पक्ष में बोलती तो इससे उसे फायदा होगा या नुकसान.


हालांकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेताओं ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई के लिए प्रकिया शुरू कर दी है और इसके लिए वह विभिन्न विपक्षी पार्टियों के सासंदों के हस्ताक्षर ले रही है.


एनसीपी ने क्या कुछ कहा?


एनसीपी नेता माजिद मेमन ने घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कहा, ''सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने देश के चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है.'' यह पूछे जाने पर कि अब तक कितने सांसदों ने नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं, उन्होंने कहा कि वह हस्ताक्षरकर्ता भर हैं और यह प्रश्न कांग्रेस से किया जाना चाहिए.


एनसीपी के अन्य सांसद डीपी त्रिपाठी ने कहा कि मैंने हस्ताक्षर किए हैं, दूसरे भी हस्ताक्षर कर रहे हैं और यह सिलसिला चल रहा है. उन्होंने कहा कि यह केवल भ्रष्टाचार नहीं है, आरोप बेहद गंभीर हैं और उस पत्र से यह प्रकट होता है जो सुप्रीम कोर्ट के के चार सीनियर जस्टिस ने पहले ही लिखा है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरा है.


त्रिपाठी ने इस बात की पुष्टि की कि हस्ताक्षर करने वालों में एनसीपी, माकपा, भाकपा के सदस्य और अन्य लोग हैं. उन्होंने इशारा किया कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भी इस पर हस्ताक्षर किए हैं.


कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के लिए विपक्षी दलों को मसौदा भेजा है. जिसपर कई दलों ने सहमति जताई है.


महाभियोग पर बात क्यों?
आपको बता दें कि भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जस्टिस जस्टिस जे चेलमेशवार, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने मीडिया के सामने आकर सीजेआई दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए थे.


जिसके बाद से कांग्रेस लगातार न्यायपालिका में संकट की बात कह रही है. कांग्रेस का कहना है कि चारों जस्टिस के आरोप सही हैं. उसके बाद से ही चीफ जस्टिस (सीजेआई) के खिलाफ महाभियोग की सुगबुगाहट चल रही है, लेकिन कांग्रेस ने आधकारिक तौर पर इसका खंडन किया है.


महाभियोग के लिए क्या है जरूरी?
नियम के मुताबिक सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश करने के लिए लोकसभा में 100 सांसदों के और राज्यसभा में 50 सदस्यों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है. सूत्रों ने बताया कि विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने राज्यसभा में विपक्ष के नता गुलाम नबी आजाद से मंगलवार को मुलाकात करके मुद्दे पर चर्चा की. हालांकि आजाद के कार्यालय से इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी कि ऐसी कोई बैठक वहां हुई थी.