मुंबई: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की गठबंधन सरकार के एक घटक दल कांग्रेस ने अपनी नाराजगी सार्वजनिक कर दी है. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार में उसके साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है. उसकी नाराजगी दूर करने के लिये उद्धव ठाकरे राज्य के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के साथ बैठक करने वाले थे, जो फिलहाल उनकी पत्नी को पितृ शोक होने के कारण टल गई है.
हाल ही में एक अंग्रेजी अखबार को दिये गये इंटरव्यू में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सार्वजनिक निर्माण कार्य मंत्री अशोक चव्हाण ने आरोप लगाया कि ठाकरे सरकार में बतौर पार्टनर उन्हें जायज हक नहीं मिल रहा है. तीनों पार्टियों को बराबरी का महत्व मिलना चाहिये क्योंकि तीनों पार्टियों के साथ आने से ही सरकार बनी है.
'कांग्रेसी मंत्रियों की नहीं सुनी जा रही'
चव्हाण के मुताबिक कई कांग्रेसी मंत्री ये महसूस कर रहे हैं कि सरकार में उन्हें सुना नहीं जा रहा. विकास कार्यों के लिये बांटे जाने वाले फंड में भी तीनों पार्टियों के बीच असमानता है. हर विधायक अपने क्षेत्र का विकास करना चाहता है.
अशोक चव्हाण ने ये भी कहा कि भले ही कांग्रेस का मकसद हर हाल में बीजेपी को सत्ता से बाहर रखना हो लेकिन इस बात को कांग्रेस की कमजोरी न समझा जाये. उन्होने ये भी आरोप लगाया कि सरकार के कामकाज पर अफसरशाही हावी है और सरकारी अधिकारी अनबन पैदा करने के लिये जिम्मेदार हैं.
हाल ही में कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख और ठाकरे सरकार में मंत्री बालासाहब थोराट ने भी आरोप लगाया था कि सरकार में उन्हें किनारे किया जा रहा है.
उनसे पहले पिछले महीने राहुल गांधी ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि कांग्रेस भले ही महाराष्ट्र की सरकार को समर्थन दे रही हो लेकिन वो फैसले लेने की स्थिति में नहीं है.
विधान परिषद की सीटें भी बड़ा मुद्दा
कांग्रेस के लिये चिंता का एक मुद्दा राज्यपाल कोटे से भरी जाने वाली विधान परिषद की 12 सीटें भी हैं. कांग्रेस चाहती है कि इन 12 सीटों का बंटवारा बराबरी में होना चाहिये, लेकिन शिव सेना और एनसीपी की ओर से इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है. पिछले महीने जब विधान परिषद के चुनाव हुए थे तब भी शिव सेना और एनसीपी के दबाव में कांग्रेस ने 2 में से अपना 1 उम्मीदवार वापस ले लिया था.
सियासी गलियारों में माना जा रहा है कि महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार को उद्धव ठाकरे और शरद पवार ही चला रहे हैं और बाकी मंत्रियों की ज्यादा नहीं चलती.
कुछ का ये भी मानना है कि भले ही राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हों, सत्ता का रिमोट कंट्रोल शरद पवार ने अपने पास रखा है. बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिये 3 विपरीत विचारधाओं वाली पार्टियों को साथ लाने का आईडिया भी उन्हीं का था और इसके पीछे प्रयास भी उन्हीं के थे.
कांग्रेस बिना सरकार मुश्किल
महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार कांग्रेस के समर्थन के बिना नहीं चल सकती. राज्य विधान सभा में बहुमत के लिये कुल 145 सीटें चाहिये. शिव सेना के पास 56 सीटें हैं, एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 सीटें.
अगर कांग्रेस खफा होकर अपना समर्थन खींच लेती है तो ठाकरे सरकार गिर जायेगी. कांग्रेस के नेताओं की नाराजगी दूर करने के लिये सोमवार को उद्धव ठाकरे उनके साथ बैठक करने वाले थे लेकिन उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे के पिता का देहांत हो जाने के कारण ये बैठक टल गई.
उधर, बीजेपी सरकार के घटक दलों के बीच हो रही इस हलचल पर बारीकी से नजर बनाये हुए है. हाल ही में देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि वे सरकार गिराने का प्रयास नहीं कर रहे हैं लेकिन ये सरकार अपने अंतर्विरोधों के चलते गिर जायेगी.
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