नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर कांग्रेस ने आज सफाई देते हुए कहा कि पार्टी ने प्रस्ताव के नियमों का उल्लंघन नहीं किया है. कांग्रेस पर प्रस्ताव मंजूर होने से पहले सावर्जनिक रुप से जानकारी देकर नियमों के उल्लंघन का आरोप है. ऐसी कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस की पड़ताल से पहले ही उसका विवरण मीडिया को जारी किया गया, जिससे राज्यसभा चेयरमैन वेंकैया नायडू नाखुश हैं.
कांग्रेस की अगुवाई में राज्यसभा में सात दलों (कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और आईयूएमएल) के 64 सदस्यों ने शुक्रवार को वेंकैया नायडू को महाभियोग लाने का प्रस्ताव सौंपा था. बीजेपी का कहना है कि यह महाभियोग प्रस्ताव जजों को डराने के लिए हैं.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि यह जज बीएच लोया के मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर न्यायपालिका को दबाने के लिए 'बदले की याचिका' है. उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट के माध्यम से कहा, "यह (महाभियोग प्रस्ताव) न्यायमूर्ति लोया के मामले में कांग्रेस के फर्जीवाड़े के साबित हो जाने के बाद उसके द्वारा डाली गई बदले की याचिका है."
वहीं कांग्रेस का कहना है कि चीफ जस्टिस ने पद की मर्यादा का उल्लंघन किया है. वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल ने पिछले दिनों कहा था, ''देश की सुप्रीम कोर्ट के चार शीर्ष जजों ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है, न्यायपालिका की स्वायत्तता के साथ खिलवाड़ हो रहा है.'' सिब्बल ने कहा कि ये चिंता की बात है, हमने संविधान की शपथ ली है और हमें इसकी रक्षा करनी है.
देश के चीफ जस्टिस के खिलाफ संसद में महाभियोग चलाने का यह पहला मामला है. इस प्रस्ताव में दुर्व्यवहार के पांच मामलों को सूचीबद्ध किया गया है. महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करने या खारिज करने के मसले पर वेंकैया नायडू अब संभवत: कानूनी राय लेंगे. अगर प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो कानून के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, किसी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और एक निष्पक्ष कानूनविद की तीन सदस्यीय समिति इस मामले को देखेगी.