क्या उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ फैसला देने की वजह से जस्टिस जोसेफ को पदोन्नति नहीं दी गई- कांग्रेस
कोलेजियम ने उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जोसेफ और वरिष्ठ वकील इन्दु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाए जाने की सरकार से अनुशंसा की थी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जज की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस बीजेपी में जंग छिड़ गई है. जस्टिस के एम जोसेफ को नियुक्त न करने पर कांग्रेस ने कहा है कि केंद्र सरकार न्यायपालिका में दखल दे रही हैं. इसपर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा है कि कांग्रेस हमें कानून का पाठ न पढ़ाए. दरअसल केंद्र सरकार ने जस्टिस के एम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त करने संबंधी कोलेजियम की अनुशंसा को स्वीकार नहीं की है.
कांग्रेस ने कहा, ‘’कोलेजियम ने उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश ए एम जोसफ का नाम सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर भेजा था, लेकिन आज पता चला कि सरकार ने उनका नाम नामंज़ूर कर दिया क्योंकि उनको ये पसंद नहीं था.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘’कानून कहता है कि कोलेजियम जो नाम भेजेगा वही जज बनेगा जबकि सरकार कहती है जो हमारी पसन्द का नहीं होगा उसका नाम लटका देंगे.’’
कांग्रेस ने आगे कहा, ‘’आज हम पूछना चाहते हैं कि एक स्वर में कौन बोलेगा? क्या न्यायपालिका एक होकर बोलेगी की अब बस बहुत हो गया?’’ उन्होंने कहा कि मैं उन वकीलों से भी पूछना चाहता हूं कि क्या वो न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमले के खिलाफ बोलेंगे?
AICC press briefing by RS MP @KapilSibal on judge's appointment.https://t.co/faQYRbGlAE
— Congress (@INCIndia) April 26, 2018
इससे पहले इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 'बदले की राजनीति' करने का आरोप लगाया. उन्होंने सवाल किया कि क्या दो साल साल पहले उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ फैसला देने की वजह से न्यायमूर्ति जोसेफ को पदोन्नति नहीं दी गई?
गौरतलब है कि मार्च 2016 में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया था. कुछ दिनों बाद ही न्यायमूर्ति जोसेफ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इसे निरस्त कर दिया था.
बता दें कि कोलेजियम ने उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जोसेफ और वरिष्ठ वकील इन्दु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाए जाने की सरकार से अनुशंसा की थी. सरकार ने मल्होत्रा के नाम को मंजूरी दे दी लेकिन न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम पर कोलेजियम से फिर से विचार करने का अनुरोध किया है.