नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रशासन और सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद लोग इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. अब कांग्रेस पार्टी 22 दिसंबर को इस कानून के खिलाफ पूरे देश में शांति मार्च निकालने की तैयारी कर रही है.
इस प्रदर्शन की अगुवाई जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है वहां मुख्यमंत्री करेंगे और जहां गैर कांग्रेस शासित राज्यों में इसकी अगुवाई वहां के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करेंगे. बता दें कि इससे पहले कांग्रेस पार्टी अपनी स्थापना दिवस (28 दिसंबर) को पूरे देश में 'सेव इंडिया सेव कॉन्स्टिट्यूशन' के नारे से प्रदर्शन करने वाली थी लेकिन जिस तरह से देश में नागरिकता कानून को लेकर गुस्सा सामने आया है ऐसे में अब पार्टी इस दिन इसी मसले पर एक बड़ा प्रदर्शन कर सकती है.
कांग्रेस को अभी लग रहा है कि पार्टी इस मसले पर अभी अगुवाई करती नहीं दिख रही है. पूरे देश में नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तुरंत कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक बुलाई. इसमें अहमद पटेल, प्रियंका गांधी, आरपीएन सिंह, ज्योतिरादित्य सीधिया और दीपेन्द्र हुड्डा शामिल हुए.
बैठक में प्रियंका गांधी ने कहा, “कांग्रेस को सड़कों पर उतरने की ज़रूरत है वहीं दूसरे बाकि नेताओं ने सोनिया गांधी को पूरे घटना कीजानकारी दी और यह भी कहा कि मोदी सरकार देश को बांटने की कोशिश कर रही है और नागरिकता क़ानून के ज़रिए देश केअसली मुद्दों- अर्थव्यवस्था और बेरोज़गारी से ध्यान हटाया जा रहा है.
कोर ग्रुप की बैठक में यह तय हुआ कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री शांति मार्च की अगुवाई करेंगे और अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे. दरअसल, इस पूरे मामले में कांग्रेस विपक्षी पार्टियों और छात्रों के हितों की लड़ाई लड़ते हुए दिखना चाहती है. गौरतलब है कि जामिया यूनिवर्सिटी में हुए छात्रों पर लाठी चार्ज के विरोध में प्रियंका गांधी ने इंडिया गेट पर कांग्रेस वर्किग कमेटी के साथ धरना दिया था.
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