जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग: जानें, गुलाम नबी, महबूबा, उमर और अखिलेश ने BJP पर हमला करते हुए क्या कुछ कहा
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की विधान सभा का अचानक भंग किया जाना पूर्णत: अलोकतांत्रिक है. आज कश्मीर से लेकर केरल तक हर जगह लोकतंत्र ख़तरे में है.
श्रीनगर/नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में देर रात राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा को भंग कर दिया. उन्होंने यह कदम ऐसे समय में उठाया जब विधानसभा भंग किये जाने से ठीक पहले पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था. पीडीपी ने दावा किया कि उसे कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का समर्थन प्राप्त है. विपक्षी दलों ने राज्यपाल के फैसले को तानाशाही भरा रवैया करार दिया और कहा कि बीजेपी महागठबंधन से घबरा गई है.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट करके कहा कि पिछले पांच महीनों से राजनीतिक संबद्धताओं की परवाह किये बगैर,‘‘हमने इस विचार को साझा किया था कि विधायकों की खरीद फरोख्त और दलबदल को रोकने के लिए राज्य विधानसभा को भंग किया जाना चाहिए.’’ उन्होंने कहा,‘‘लेकिन हमारे विचारों को नजरअंदाज किया गया. लेकिन किसने सोचा होगा कि एक महागठबंधन का विचार इस तरह की बैचेनी देगा.’’
उन्होंने यह भी कहा,‘‘आज की तकनीक के दौर में यह बहुत अजीब बात है कि राज्यपाल आवास पर फैक्स मशीन ने हमारा फैक्स प्राप्त नहीं किया लेकिन विधानसभा भंग किये जाने के बारे में तेजी से बयान जारी किया गया.’’ महबूबा मुफ्ती ने फैक्स कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था. मुफ्ती ने देर शाम राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा था कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने उनकी पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का फैसला किया है.
Have been trying to send this letter to Rajbhavan. Strangely the fax is not received. Tried to contact HE Governor on phone. Not available. Hope you see it @jandkgovernor pic.twitter.com/wpsMx6HTa8
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 21, 2018
कांग्रेस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एक लोकप्रिय सरकार का गठन करने के लिए वार्ता प्रारंभिक चरण में थी और केन्द्र की बीजेपी सरकार इतनी चिंतित थी कि उन्होंने विधानसभा भंग कर दी. आजाद ने कहा, ‘‘स्पष्ट है कि बीजेपी की नीति यही है कि या तो हम हों या कोई नहीं.’’
कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को इस मामले को लेकर कोर्ट जाना चाहिए. राज्यपाल ने केंद्र सरकार के इशारे पर अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से विधानसभा भंग की है. महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का समर्थन मिलने के बाद ही पत्र लिखा था और राज्यपाल को सरकार बनाने का एक मौका देना चाहिए था.
उमर अब्दुल्ला
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि उनकी पार्टी 5 महीनों से विधानसभा भंग किये जाने का दबाव बना रही थी. यह कोई संयोग नहीं हो सकता कि महबूबा मुफ्ती के दावा पेश किये जाने के कुछ ही मिनटों के भीतर अचानक विधानसभा को भंग किये जाने का आदेश आ गया. उमर ने मजाकिया अंदाज में कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर राजभवन को तत्काल एक नयी फैक्स मशीन की जरूरत है.’’
बीजेपी
वहीं केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में जल्दी चुनाव कराया जाना सबसे अच्छा विकल्प क्योंकि मौजूदा विधानसभा से स्थिर सरकार नहीं मिल सकती है. बीजेपी ने पीडीपी-कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के कथित गठबंधन को ‘‘आतंक-अनुकूल पार्टियों का गठबंधन’’ बताया.
आम आदमी पार्टी
दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा भंग किया जाना अलोकतांत्रिक और संविधान की हत्या के समान कृत्य है, बीजेपी ने एक बार फिर साबित किया कि उसका लोकतंत्र में कोई भरोसा नहीं है. मोदी जी देश को 'जिसकी लाठी उसकी भैंस' की तर्ज़ पर चलाना चाहते हैं!
अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि आज लोकतंत्र खतरे में है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''जम्मू-कश्मीर की विधान सभा का अचानक भंग किया जाना पूर्णत: अलोकतांत्रिक है. आज कश्मीर से लेकर केरल तक हर जगह लोकतंत्र ख़तरे में है. देश के सभी विचारवान नागरिकों को एक साथ आना होगा नहीं तो जनतंत्र व जनमत का गला घोंट दिया जाएगा.''जम्मू-कश्मीर की विधान सभा का अचानक भंग किया जाना पूर्णत: अलोकतांत्रिक है. आज कश्मीर से लेकर केरल तक हर जगह लोकतंत्र ख़तरे में है. देश के सभी विचारवान नागरिकों को एक साथ आना होगा नहीं तो जनतंत्र व जनमत का गला घोंट दिया जाएगा.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 22, 2018