नई दिल्ली: पांच राज्यों के चुनावों में करारी हार से उबरने की कोशिश कर रही कांग्रेस इस साल के अंत में होने जा रहे गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए बड़ी रणनीति बना रही है. कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि अंदरखाने पार्टी नेतृत्व बड़े पाटीदार नेता नरेश पटेल को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने की रणनीति बना रहा है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इस योजना का अहम हिस्सा हैं. सब ठीक रहा तो जल्द नरेश पटेल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. आपको बताते हैं कि कौन हैं नरेश पटेल, जिनके चेहरे पर कांग्रेस दांव लगा सकती है और आखिर क्यों नरेश पटेल पर कांग्रेस को इतना भरोसा है?


गुजरात के प्रभावशाली पाटीदार समाज की लेउआ बिरादरी का जाना-माना नाम और खोडलधाम ट्रस्ट के मुखिया नरेश पटेल इन दिनों गुजरात की राजनीति में सबसे चर्चित नाम हैं. गुजरात में 28 सालों का सूखा खत्म करने के लिए कांग्रेस नरेश पटेल के चेहरे पर चुनाव लड़ने की रणनीति बना रही है. तो वहीं आम आदमी पार्टी भी नरेश पटेल पर डोरे डाल रही है. हालांकि कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक नरेश पटेल की कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात हो चुकी है और अप्रैल के पहले हफ्ते में राहुल गांधी के गुजरात दौरे के वक्त वो कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. शुरुआत में उन्हें चुनाव प्रचार समिति की कमान दी जा सकती है और चुनाव के नजदीक आने पर मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया जा सकता है.


पाटीदार समाज में जाना माना नाम हैं नरेश पटेल
नरेश पटेल लेउआ पटेलों की कुलदेवी खोडलधाम माता मंदिर को चलाने वाले खोडलधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. धार्मिक और समाजिक कामों की वजह से नरेश पटेल पाटीदार समाज में जाना माना नाम तो हैं ही, गुजरात के अन्य समाजों के बीच भी उनकी अच्छी छवि मानी जाती है. नरेश पटेल का खुद का बड़ा व्यापार भी है और पाटीदार समाज के रसूखदारों में उनकी पकड़ भी. ऐसे में वो राजनीतिक तौर पर ही नहीं आर्थिक तौर पर भी बेहद मजबूत हैं.


रणनीति के पीछे प्रशांत किशोर
इस पूरी रणनीति के पीछे प्रशांत किशोर का नाम बताया जा रहा है जिनके जल्द पार्टी में शामिल होने की संभावना है. पीके के सवाल पर कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि लड़की देखने के वक्त नहीं शादी के वक्त सबको बताया जाता है. गुजरात से राज्यसभा सांसद गोहिल का यह जवाब बहुत कुछ बताता है.


सूत्रों के मुताबिक पीके चाहते हैं कि नरेश पटेल गुजरात में कांग्रेस के चुनाव की अगुवाई करें तो वहीं नरेश पटेल भी चाहते हैं कि प्रचार अभियान पीके की निगरानी में हो. प्रशांत किशोर ने सबसे पहले 2012 विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए प्रचार अभियान का संचालन किया था. कांग्रेस नेतृत्व के साथ बातचीत तय होने के बाद पीके जल्द कांग्रेस के साथ अपने रिश्तों को लेकर खुल कर सामने आ सकते हैं.


कांग्रेस ने पटेल के नाम पर करवाया आंतरिक सर्वे
बड़ी बात यह है कि कांग्रेस ने नरेश पटेल के नाम पर आंतिरक सर्वे करवाया है जिसमें उन्हें करीब 4% का फायदा होता हुआ नजर आ रहा है. गुजरात के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करीब 40% वोट मिले थे. सूत्रों के मुताबिक सर्वे में समाने आया कि नरेश पटेल के नेतृत्व में कांग्रेस बीजेपी को बेहद करीबी टक्कर देने की स्थिति में पहुंच सकती है. वहीं सूत्रों के मुताबिक सर्वे में कांग्रेस के लिए एक चिंताजनक स्थिति यह भी सामने आई कि बिना नरेश पटेल कांग्रेस आम आदमी पार्टी के मुकाबले पिछड़ भी सकती है.


गुजरात कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ओबीसी वर्ग से आते हैं और नेता विपक्ष सुखराम राठवा आदिवासी हैं. प्रदेश में दलित वर्गों में कांग्रेस की पैठ मजबूत है. कांग्रेस को उम्मीद है कि इस सामाजिक समीकरण के साथ नरेश पटेल के नेतृत्व में बीजेपी की भूपेंद्र पटेल सरकार के खिलाफ माहौल को भुना कर प्रधानमंत्री मोदी के गृहराज्य में बीजेपी से सत्ता छीनी जा सकती है.


कांग्रेस की मुश्किलें भी कम नहीं  
लेकिन कांग्रेस के लिए सब कुछ इतना आसान भी नहीं है. नरेश पटेल राजनीतिक तौर पर बिल्कुल नया चेहरा हैं. उन्होंने आज तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है. नए नेता को तरजीह दिए जाने से दूसरे नेता नाराज हो कर छिटक सकते हैं. पंजाब में जीत के बाद आम आदमी पार्टी नई ऊर्जा के साथ गुजरात में चुनाव लड़ने जा रही है. पंजाब में कैप्टन को हटा कर चन्नी और सिद्धू पर दांव लगा कर कांग्रेस अपने हाथ जला चुकी है. उत्तराखंड और गोवा में भी सरकार विरोधी माहौल को कांग्रेस जीत में नहीं बदल पाई. जाहिर है बड़ा प्रयोग करने के दौरान कांग्रेस को इन सब बातों का ध्यान रखना पड़ेगा.


गुजरात में करीब 30 से 35 सीटें पाटीदार इलाके में आती हैं. लगभग इतनी ही अन्य सीटों पर पाटीदार समाज प्रभावशाली संख्या में मौजूद है. बीते विधानसभा चुनाव में पाटीदार आंदोलन के कारण सौराष्ट्र के इलाके में कांग्रेस को बढ़त मिली थी. राहुल गांधी का लक्ष्य उसी बढ़त को पूरे गुजरात में तब्दील करने की है. 182 सदस्यों की गुजरात विधानसभा के पिछले चुनाव में बीजेपी ने करीब 49% वोट के साथ 99 सीट और कांग्रेस ने करीब 41. 4% वोट के साथ 77 सीटें जीती थी. हालांकि बीते साढ़े चार सालों में एक दर्जन से ज्यादा विधायक कांग्रेस छोड़ चुके हैं.


कांग्रेस को चमत्कार की जरुरत
कुछ महीने बाद होने जा रहे गुजरात चुनाव में बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए कांग्रेस को किसी चमत्कार की जरूरत है. देखना होगा कि क्या नरेश पटेल के साथ कांग्रेस यह चमत्कार कर पाएगी. उससे पहले इंतजार नरेश पटेल और पीके की जोड़ी को लेकर कांग्रेस के आधिकारिक ऐलान का है. फिलहाल कांग्रेस के बड़े नेता नरेश पटेल को लेकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. नरेश पटेल भी अपने पत्ते नहीं खोल रहे.