Congress President Election: कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर कांग्रेस (Congress) में सवाल उठ रहे हैं. सांसद और पार्टी के बागी नेता मनीष तिवारी (Manish tiwari) ने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया पर सवाल उठाये. उन्होंने मतदान करने वाले प्रतिनिधियों की सूची सार्वजनिक करने की मांग की. मनीष तिवारी की तरह ही कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम (Karti Chidambaram) ने भी मतदाता सूची को पारदर्शी करने की मांग की.


इससे पहले आंनद शर्मा सीडब्ल्यूसी की बैठक में मतदाता सूची पर सवाल उठा चुके हैं. वहीं हाल ही में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने अध्यक्ष चुनाव की पूरी प्रक्रिया को फर्जी करार दिया है. कांग्रेस के बागी समूह के नेता 'जी–23' के सदस्य मनीष तिवारी ने संगठन के चुनाव प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री से पूछा है कि मतदाता सूची सार्वजनिक किए बिना निष्पक्ष चुनाव कैसे होगा? तंज कसते हुए तिवारी ने कहा कि क्लब के चुनाव में भी ऐसा नहीं होता! 


कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कौन करता है वोटिंग?
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में स्टेट डेलीगेट यानी राज्यों के प्रतिनिधि वोट डालते हैं जिनकी संख्या करीब 9 हजार है. कांग्रेस संगठन के हर ब्लॉक से एक स्टेट डेलीगेट चुना जाता है. ये मतदाता ही पहले पार्टी अध्यक्ष और फिर अधिवेशन में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी यानी AICC सदस्य चुनते हैं. एआईसीसी के सदस्य ही सीडब्ल्यूसी के सदस्य चुनते हैं. कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को प्रस्ताव के तौर पर दस स्टेट डेलीगेट की जरूरत होती है. 


ब्लॉक कमिटी से स्टेट डेलीगेट और फिर एआईसीसी सदस्य चुनने के लिए चुनाव का प्रावधान है लेकिन आम तौर पर सर्वसम्मति से नाम तय कर लिए जाते हैं. अध्यक्ष के लिए नामांकन और मतगणना कांग्रेस मुख्यालय में होती है लेकिुन है जबकि जरूरत पड़ने पर मतदान प्रदेश कार्यालयों में करवाई जाती है. 


कांग्रेस ने एलान किया कि अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 22 सितंबर को अधिसूचना जारी होगी और 24 से 30 सितंबर तक नामांकन होंगे. एक से ज्यादा नामांकन की स्थिति में 17 अक्टूबर को मतदान होगा और 19 अक्टूबर को मतगणना होगी. 


किस बात पर रद्द किया जा सकता है पर्चा?
संगठन चुनाव के प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री का कहना है कि मतदाताओं की सूची प्रदेश कांग्रेस कार्यालयों में है और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को सूची सौंपी जाएगी. लेकिन मनीष तिवारी ने पूछा है कि पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए क्या राज्यों में भटकना होगा? तिवारी के यह आशंका भी जताई है कि अध्यक्ष पद के चुनाव में किसी उम्मीदवार का पर्चा इस बहाने से रद्द किया का सकता है कि प्रस्तावक मतदाता ही नहीं है! अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है. 


तिवारी के ट्वीट से साफ है कि कांग्रेस का बागी समूह अध्यक्ष चुनाव के उम्मीदवार उतारने की तैयारी का रहा है. शशि थरूर ने एक दिन पहले संकेत दिए थे और अब मनीष तिवारी ने खुल कर सामने आ गए हैं. लेकिन बागी गुट को यह साफ पता है कि मतदाता सूची जिस तरह तैयार की गई है उससे जीत उसी को मिलेगी जिसे कांग्रेस आलाकमान का आशीर्वाद प्राप्त होगा. यही वजह है कि अभी से मतदाता सूची को लेकर विवाद को हवा दी जा रही है. मतदाता सूची सार्वजनिक होने पर देश भर से जो लोग इस सूची से बाहर होंगे उनके जरिए बागी गुट हंगामा भी करवा सकता है. 


जी-23 नेताओं ने क्यों की थी गुलाम नबी आजाद से मुलाकात
कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के गुट यानी जी-23 के तीन नेताओं आनंद शर्मा, भूपेंद्र हुड्डा और पृथ्वी राज चव्हाण ने कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले गुलाम नबी आजाद से मंगलवार शाम मुलाकात की थी. उससे पहले मनीष तिवारी ने उन कांग्रेस नेताओं को निशाने पर लिया था जो आजाद पर हमले कर रहे थे. साफ है कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से पार्टी की दरार बढ़ती जा रही है. 


राहुल गांधी (Rahul Gandhi) दुबारा अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं है. संकेत है कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत (Ashok gehlot) को आलाकमान के निर्देश पर पार्टी अध्यक्ष के लिए पर्चा भर सकते हैं. ऐसी सूरत में सूत्रों के मुताबिक मनीष तिवारी, शशि थरूर, पृथ्वीराज चव्हाण में से कोई भी नेता गहलोत को चुनौती दे सकता है. पिछले कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में शहजाद पूनावाला (Shahzad Poonawalla) ने पर्चा भरा था लेकिन उनका पर्चा रद्द कर दिया गया था और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) निर्विरोध चुने गये थे. इससे पहले 2001 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को जितेंद्र प्रसाद ने चुनौती दी थी.


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