मल्लिकार्जुन खड़गे ने नामांकन भरा तो क्यों हैं उनकी जीत के सबसे ज्यादा चांस, जानें पांच कारण
Congress President: राजस्थान में सियासी उठापटक के बाद गहलोत के बाहर होने और फिर दिग्विजय सिंह की ओर से अपना नाम वापस लेने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने नामांकन दाखिल किया.
Congress President Election: कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर हलचल काफी तेज हो गई है. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर होने के बाद दिग्विजय सिंह का नाम इसके लिए लगभग तय माना जा रहा था, लेकिन अब उन्होंने भी अपना नाम वापस ले लिया. इस बीच अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) की एंट्री हुई और उन्होंने शुक्रवार (30 सितंबर) को अपना नामांकन दाखिल कर दिया है.
इस चुनाव में शशि थरूर भी हैं. जी-23 के अहम नेताओं में से एक माने जाने वाले थरूर ने भी पर्चा दाखिल कर दिया. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वो असंतुष्टों के जी-23 गुट के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. वहीं, मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के काफी करीब रहे हैं.
खड़गे ने दाखिल किया नामांकन
कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम कुछ देर से जरूर सामने आया है, लेकिन वो हमेशा से सोनिया और राहुल गांधी की गुड लिस्ट में थे. खड़गे को हमेशा से अध्यक्ष पद के लिए एक संभावित उम्मीदवारों में से एक के तौर पर देखा जाता रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि खड़गे सोनिया गांधी और राहुल गांधी के समर्थन के साथ चुनाव मैदान में उतरे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि अब खड़गे ही 'आधिकारिक' उम्मीदवार हैं.
खड़गे की जीत के सबसे ज्यादा चांस क्यों?
नेहरू-गांधी परिवार के भरोसेमंद
पूर्व केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे नेहरू-गांधी परिवार के भरोसेमंद रहे हैं. गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान खड़गे को राहुल और सोनिया गांधी सियासी तौर पर शुभचिंतक मानते हैं. वक्त-वक्त पर उन्हें कांग्रेस पार्टी की तरफ से उनकी वफादारी का अवॉर्ड भी मिलता रहा है. केंद्र में मंत्री के अलावा साल 2014 में उन्हें लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया था. पिछले साल पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया.
खड़गे का सियासी अनुभव
मल्लिकार्जुन खड़गे ने छात्र राजनीति से अपने करियर की शुरूआत की थी. 80 साल के खड़गे केंद्रीय स्तर की सियासत में भी लंबे वक्त तक रहे हैं. उन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया था. पहली बार साल 1972 में कर्नाटक की गरमीतकल विधानसभा सीट से विधायक बने. वो वहां से नौ बार विधायक रहे. राज्य के अलग-अलग विभागों में मंत्री का पद भी संभाला. 2009 में गुलबर्गा से लोकसभा सीट जीतने के बाद मनमोहन सिंह की सरकार में श्रम और रेलमंत्री की भूमिका में रहे. 2014 में फिर से जीत हासिल कर लोकसभा में कांग्रेस के नेता बने.
कई बड़े नेताओं का समर्थन
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सामने आने के बाद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने नाम वापस ले लिया है. अब वो खड़गे के प्रस्तावक बने हैं. जानकारी के मुताबिक दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को खड़गे से उनके घर पर मुलाकात की थी. दिग्विजय सिंह का कहना है कि अगर वरिष्ठ नेता खड़गे नॉमिनेशन कर रहे हैं तो वो उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की बात सोच भी नहीं सकते हैं. खड़गे के नामांकन के दौरान अंबिका सोनी, आनंद शर्मा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मुकुल वासनिक, पवन बंसल, पृथ्वीराज चव्हाण, मनीष तिवारी, राजीव शुक्ला समेत दूसरे वरिष्ठ नेता मौजूद रहे.
बड़े दलित नेता की पहचान
गांधी परिवार के बैकडोर सपोर्ट के कारण वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जु खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना करीब तय माना जा रहा है. गांधी परिवार के करीबी होने के साथ वो दलित समुदाय से आते हैं. उन्होंने मजदूरों के हक के लिए कई आंदोलन किए. ऐसे में उनके नाम पर खुलकर विरोध होना मुश्किल है. दूसरे नेताओं की तुलना में उनकी स्वीकार्यता अधिक है. सब ठीक रहा तो मजदूर आंदोलन से अपने करियर की शुरुआत करने वाले खड़गे सबसे पुरानी पार्टी की कमान बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं. खड़गे को अगर पार्टी की कमान मिलती है तो वो बाबू जगजीवन राम के बाद कांग्रेस में दूसरे दलित अध्यक्ष होंगे.
विवादों से नाता नहीं
मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने कर्नाटक विधानसभा और केंद्र के स्तर पर विपक्ष के नेता के तौर पर बेहतर काम करने का अनुभव है. गुलबर्गा जिले के वारवट्टी में एक गरीब परिवार में उनका जन्म हुआ. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा और बीए के साथ-साथ गुलबर्गा में कानून की भी पढ़ाई की. खड़गे अपने स्वभाव और मिजाज से काफी शांत माने जाते हैं. वो अभी तक किसी विवादों में नहीं आए हैं. वो अंत तक राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने की वकालत करते भी दिखे.
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