Congress President Election: कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर नामांकन की तारीख खत्म होने के बाद अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आखिर कांग्रेस का अध्यक्ष कौन होगा? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और कथित बागी गुट जी-23 के नेता शशि थरूर ने शुक्रवार (30 सितंबर) को नामांकन भर दिया. ऐसा माना जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे की जीत पक्की है. संभावना इसकी भी है कि शशि थरूर अपना नाम वापस ले लें और खड़गे सहमति से अध्यक्ष (Congress President) बन जाएं.


मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक की सियासत के साथ केंद्र स्तर की राजनीति में लंबा अनुभव रखते हैं. हालांकि नेतृत्व की कमी से जूझ रही पार्टी को सही दिशा देकर फिर से उसमें जान लाना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी. 


मल्लिकार्जुन खड़गे संभालेंगे कमान


मल्लिकार्जुन खड़गे जमीनी स्तर के नेता रहे हैं. अगर वो कांग्रेस के अध्यक्ष बनते हैं तो उन्हें अपनी ताकत और कमजोरियों के बारे में ठीक से पता है. मजदूरों के लिए आवाज उठाने से लेकर कर्नाटक की सियासत और फिर केंद्र में मंत्री से लेकर लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता तक रहने वाले खड़गे को आने वाली चुनौतियों के बारे में अनुभव है. करीब 80 साल के खड़गे अगर अध्यक्ष बनते हैं तो वो साल 1969 में अध्यक्ष बने जगजीवन राम के बाद इस पुरानी पार्टी के पहले पूर्णकालिक दलित अध्यक्ष होंगे.


खड़गे की पांच बड़ी ताकत क्या है


• मल्लिकार्जुन खड़गे पर गांधी परिवार का भरोसा है. सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ उनके काफी अच्छे संबंध हैं.


• खड़गे की पहचान एक दलित नेता के तौर पर है और वो सभी समुदायों और जातियों के लिए निष्पक्ष बने रहे हैं.


• मल्लिकार्जुन खड़गे का छात्र राजनीति से करियर की शुरूआत करते हुए कर्नाटक और केंद्रीय राजनीति में लंबा अनुभव है. वो केंद्र में मंत्री से लेकर लोकसभा और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे.


• खड़गे अपने स्वभाव से काफी शांत नेता माने जाते हैं. उनका अभी तक किसी विवादों से नाता नहीं रहा है, जो पार्टी के लिए नुकसानदायक हो.


• खड़गे का एनसीपी प्रमुख शरद पवार और सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी जैसे विपक्ष के नेताओं के साथ भी अच्छा जुड़ाव है. कई और दूसरी पार्टी के नेताओं से खड़गे का बेहतर संबंध पार्टी के लिए फायदा ही पहुंचाएगा.


खड़गे की पांच बड़ी कमजोरियां


• कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे करके एक बड़ा सियासी खेल जरूर खेला है, लेकिन ये बहुत हद तक सच है कि उनका जनाधार नहीं है. कर्नाटक को छोड़कर बाकी के राज्यों में उनकी सियासी पकड़ न के बराबर है.


• मल्लिकार्जुन खड़गे भले ही बेहतर व्यक्तित्व और साफ सुथरी और सभ्य छवि वाले नेता हों, लेकिन पीएम मोदी और अमित शाह को टक्कर देने का उनमें कोई जादुई तेज नहीं है. विरोधियों को उसी की शैली में आक्रामक जवाब देने की उनमें कला नहीं है.


• मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के वफादार माने जाते हैं, ऐसे में वो अगर अध्यक्ष बनते भी हैं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि बड़े फैसले लेने में सोनिया और राहुल गांधी का हस्तक्षेप नहीं होगा. वो एक तरह से कठपुतली अध्यक्ष होने का आरोप झेलेंगे.


• मल्लिकार्जुन खड़गे की लोकप्रियता उतनी नहीं है जो पार्टी की बेहतरी के लिए प्रभाव छोड़ सके. ऐसे में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की बात आएगी तो खड़गे उस खालीपन को भरने में सक्षम नजर नहीं आते हैं.


• कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) की उम्र करीब 80 साल है. उम्र के इस पड़ाव में वो पार्टी के लिए बेहतर निर्णय अगर लें भी लेते हैं तो वो चाहकर भी उतने एक्टिव नहीं रह सकते. आंदोलनों से लेकर पार्टी की बैठकों का संचालन और उसके लिए क्वालिटी वक्त देना बड़ी चुनौती होगी. 


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