कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए आज यानी 17 अक्टूबर को मतदान हो रहा है. इसके लिए देश भर में 40 केंद्रों पर कुल 68 बूथ बनाए गए हैं. कांग्रेस पार्टी के 137 साल के इतिहास में ये छठी बार है, जब अध्यक्ष पद का चुनाव हो रहा है. इस पद के लिए आखिरी बार चुनाव साल 2000 में हुआ था. उस चुनाव में सोनिया गांधी ने जितेंद्र प्रसाद को हराया था. एक तरफ जहां आज हो रहे इस चुनाव के लिए देश के 40 मतदान केंद्रों पर क़रीब 9,800 मतदाता शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे में से किसी एक को अपना वोट देंगे.
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने वोटिंग शुरू होने से ठीक पहले क्रिकेट की भाषा में कहा कि, 'वो ऐसी पिच पर बैटिंग कर रहे हैं, जिस पर असमान उछाल है और वो 'पिच टेंपरिंग' नहीं चाहते." आसान शब्दों में कहें तो शशि थरूर की बातों से ऐसा लगता है कि उनको कहीं न कहीं ऐसा लग रहा है कि उनके साथ 'बेइमानी' या पक्षपात किया जा रहा है. इससे पहले भी वो कई बार बयान देकर इस बात का अहसास करा चुके हैं.
बीते गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान भी पार्टी सांसद शशि थरूर ने चुनाव से पहले प्रदेश के पार्टी नेताओं के दोहरे व्यवहार को लेकर नाराजगी जताई थी. उन्होंने कहा था कि मेरे प्रचार के दौरान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) के अध्यक्ष सहित सभी बड़े नेता नदारद रहते हैं. वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे के वक्त सभी नेता उनके साथ बैठते हैं.
दरअसल मतदान से एक दिन पहले जब शशि थरूर से चुनावों में पारदर्शिता को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैंने कहा था कि खेल का मैदान असमान है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि (मधुसूदन) मिस्त्री गलत हैं. मेरे ख्याल से वो बहुत निष्पक्ष हैं. लेकिन पार्टी में हमने देखा कि जो काम कुछ पार्टी नेताओं ने किया, वो ठीक नहीं है. मैं ऐसी पिच पर बैटिंग कर रहा हूं, जिस पर असमान उछाल है लेकिन मुझे वहां बैटिंग करनी है. मैं बस चाहता हूं कि किसी तरह की पिच टेंपरिंग ना हो."
शशि थरूर पहुंचे थे लखनऊ
दरअसल कांग्रेस में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर रविवार को वोट मांगने लखनऊ पहुंचे थे. इस दौरान उनके वहां से पीसीसी सदस्यों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं नदारद रहें यही कारण है कि इस प्रचार के दौरान शशि थरूर के साथ कोई भी यूपी का बड़ा नेता नहीं दिखाई पड़ा. बता दें कि अध्यक्ष पद के चुनाव को देखते हुए पिछले दिनों ही कांग्रेस में यूपी संगठन में प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) के सदस्यों का मनोनयन हुआ है. इनकी संख्या 1500 के करीब बताई जा रही है. ये लोग PCC सदस्य ही अध्यक्ष के चुनाव में अपना वोट डालेंगे.
मध्यप्रदेश में दिखी "निष्पक्षता"
उन्होंने कहा कि वह 12-13 राज्यों में वोट मांगने गए थे. इस दौरान मध्यप्रदेश में मुझे काफी "निष्पक्षता" दिखाई दी. हालांकि उत्तर प्रदेश में उनके साथ किस तरह का व्यवहार हुआ है? इसके जवाब में उन्होंने चुप्पी बनाई रखी. शशि थरूर ने कहा, "मिस्त्री जी ने चुनाव के लिए गुप्त मतदान के जरिए इसे संबोधित किया है."
उत्तर प्रदेश के लिए शशि थरूर की क्या योजना है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, "हमें यूपी सहित देश के हर कोने में पार्टी को एक बार फिर से जीवंत करना होगा." यूपी में पिछले कुछ चुनावों में केवल तीन प्रतिशत वोट मिले हैं. एक सवाल के जवाब में कि उन्होंने यूपी कांग्रेस कार्यालय में अपने मतदाताओं को हिंदी में संबोधित किया. थरूर ने कहा, "मेरी हिंदी हमेशा से ऐसी थी."
कागजात न मिलने का लगा चुके हैं आरोप
थरूर ने आगे कहा कि चुनाव से जुड़े जरूरी कागजात देने में भी नेता पक्षपात कर रहे हैं. थरूर ने कहा कि उन्हें चुनाव में वोट करने वाले कांग्रेस प्रतिनिधियों की एक अधूरी लिस्ट मिली है. साथ ही उस लिस्ट में उनसे संपर्क के लिए फोन नंबर भी नहीं है. उन्होंने कहा कि मुझे सिर्फ दो लिस्ट मिली है जिसके पहले लिस्ट में कोई फोन नंबर नहीं दिया गया है. ऐसे में कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष की वोटिंग में भाग लेने वाले डेलिगेट्स से कैसे संपर्क कर सकता है? हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह जानबूझकर किया गया है. ऐसा हो सकता है कि यहां 22 साल से चुनाव नहीं हुए थे, इसलिए चूक हुई हो.
पिछले 22 सालों में पहली बार
बता दें कि आज होने जा रहे इस चुनाव की खासियत ये भी कि पिछले 22 सालों में पहली बार अध्यक्ष पद के चुनाव में मतदान कराने की नौबत आई है. इस मतदान की यह भी खासियत है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में हो रही भारत यात्रा में भी एक मतदान केंद्र बनाया गया है.एक तरफ 53 सालों से राजनीति में सक्रिय मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन के दौरान पार्टी के 30 दिग्गज नेता उनके प्रस्तावक बने जिसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, एके एंटनी, पवन बंसल और दिग्विजय सिंह शामिल हैं.
तो वहीं दूसरी तरफ तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर जो कि स्वतंत्र विचारों वाले नेता हैं. थरूर को कांग्रेस के जी-23 समूह के नेता के तौर पर देखा जाता है. इस समूह को गांधी परिवार से बगावत करने वाला समूह भी कहा जाता है. शशि थरूर संयुक्त राष्ट्र के पूर्व राजनयिक, लोकप्रिय किताबों के लेखक और 83 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स के साथ सोशल मीडिया की सबसे लोकप्रिय हस्तियों में शुमार हैं. इस मुकाबले में शशि थरूर की छवि बुद्धिजीवी नेता के तौर पर है तो दूसरी ओर लंबा राजनीतिक अनुभव रखने वाले वयोवृद्ध नेता खड़गे हैं.
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