Congress Crisis In Rajasthan: लंबे समय की खींचतान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव (Congress President Election) निपट गए हैं. कांग्रेस को  मल्लिकार्जुन खरगे के रूप में पार्टी अध्यक्ष मिल गया है, लेकिन कांग्रेस के मुद्दे अभी पूरी तरह नहीं निपटे हैं. दिल्ली में कई दिनों की हलचल के बाद अब राजस्थान में फिर से हंगामा शुरू हो गया है. इन सबके बीच खड़गे को भी अध्यक्ष बनते ही पहली चुनौती मिल गई है. खरगे को फैसला करना होगा कि क्या अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने दिया जाए या सत्ता परिवर्तन के लिए मजबूर कर सचिन पायलट को लाया जाए. 


पार्टी के सूत्रों ने बताया कि राजस्थान के मुद्दे को लेकर अभी भी पार्टी में तनाव बरकरार है. कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के बीच बस इस मुद्दे से सभी का ध्यान केंद्रित हो गया था. अब खरगे के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि आखिर राजस्थान कांग्रेस का मुद्दा कैसे सुलझाया जाए. देखने वाली बात यह होगी कि कैसे खरगे इस मसले को निपटाते हैं. क्योंकि यह मामला काफी पेचीदा है. 


खरगे के सामने सबसे बड़ी चुनौती


खरके के एक तरफ विधायकों के बहुमत के समर्थन वाला अनुभवी मुख्यमंत्री है और दूसरी तरफ एक युवा नेता है, जिसे गांधी परिवार ने अनौपचारिक रूप से मुख्यमंत्री पद का आश्वासन दिया था. राज्य में जल्द ही चुनाव होने हैं. यहां पार्टी को बनाए रखना खड़गे के लिए सबसे पहली और बड़ी चुनौती है. दरअसल, राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी के बीच बारी-बारी से सत्ता पर रहने का इतिहास है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले साल नवंबर-दिसंबर में होंगे. 


मुख्यमंत्री पद को लेकर लड़ाई


बता दें कि, गहलोत को सत्ता से हटाने की केंद्रीय नेतृत्व की कोशिश पिछले महीने विफल रही थी, उनके वफादार विधायकों ने खुले तौर पर नेतृत्व की अवहेलना की और आलाकमान के कहने पर बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल (CLP) की बैठक से दूर रहे. गहलोत भी अच्छी तरह जानते हैं कि मसला अभी सुलझा नहीं है. उन्होंने एक बयान में कहा कि अनुभव का कोई विकल्प नहीं है और युवाओं को धैर्य रखना चाहिए और अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए. 


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