नई दिल्ली: सोनिया गांधी को 'विदेशी मां' कहकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधने वाले बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जय प्रकाश को मायावती ने पद से हटा दिया है. जय प्रकाश ने राहुल गांधी पर बड़ा हमला करते हुए कहा था कि राहुल गांधी कभी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते क्योंकि वह अपने पिता राजीव गांधी से ज्यादा विदेशी मूल की अपनी मां सोनिया गांधी की तरह दिखते हैं.
मायावती ने कहा- इस बयान से पार्टी का लेना देना नहीं, नेताओं को दी चेतावनी
मायावती ने जय प्रकाश के इस बयान पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बीएसपी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को अनर्गल बातें करने पर चेतावनी दी हैं. मायावती ने कहा है कि बीएसपी में ऐसे बयान देना बीएसपी की कल्चर के विरुद्ध हैं. मायावती ने साफ किया कि जय प्रकाश के बयान से पार्टी का कोई लेना देना नहीं है. यह उनकी व्यक्तिगत सोच है. मायावती ने कहा कि जय प्रकाश के बयान को गंभीरता से लेते हुए बीएसपी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया है.
जय प्रकाश के बयान पर बीजेपी ने ली चुटकी
बीएसपी नेता जय प्रकाश के इस बयान के बाद बीजेपी ने चुटकी ली है. बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट करके कहा है, ''महाठगबंधन का निर्माण होने से पहले की स्तिथि देखिए. बीएसपी का साफ़ कहना है कि चूंकि राहुल गांधी अपने पिता से अधिक अपने मां जैसे दिखते हैं और सोनिया जी विदेशी मूल की हैं, इसलिए राहुल जी कभी पीएम पद के उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं! अभी तो ये शुरुआत है आगे आगे देखते जाइए होता है क्या.''
पीएम की रेस में शामिल हों मायावती- बीएसपी
बीएसपी के मुताबिक, बीएसपी सुप्रीमो मायावती साल 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं. उत्तर प्रदेश में बिजनौर या अंबेडकरनगर सीट में से कोई एक लोकसभा सीट उनकी हो सकती है. बीएसपी चाहती है कि मायावती 2019 के चुनाव में देशभर के दलितों की नेता बनकर उभरे और पीएम की रेस में हो. बीएसपी का कहना है कि कर्नाटक चुनाव के बाद मायावती दमदार नेता के रूप में उभरी हैं.
सिर्फ मायावती ही मोदी को टक्कर दे सकती हैं- बीएसपी
बीएसपी का कहना है कि मजबूत पीएम के लिए मायावती ही है जो मोदी को टक्कटर दे सकती हैं. बीएसपी उन राज्यों में कांग्रेस से गठबंधन करने के पक्ष में भी है, जहां कांग्रेस मजबूत है. अगर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन बन गया तो मायावती अपने पुराने क्षेत्र बिजनौर के नगीना सुरक्षित सीट या फिर अंबेडकरनगर से लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं. हालांकि सूत्रों का कहना है कि यह सब कुछ दोनों दलों के बीच गठबंधन बनने पर निर्भर करता है.
बीएसपी के इस बयान के क्या मायने हैं?
विश्लेषकों की राय में सियासी गलियारों में सभी पार्टी के नेताओं को इस बात का आभास है कि विपक्ष में इस वक़्त कोई ऐसी अकेली पार्टी नहीं है जो पीएम नरेंद्र मोदी को टक्कर दे सके, इसलिए विपक्ष के पास गठबंधन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है. ऐसे में बीएसपी अपना दांव चल रही है और उसे पता है कि उसके बिना सियासत की जंग जीती नहीं जा सकती है.
दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि इस वक़्त दलित मोदी सरकार से नाराज है और अगर उसे एक साथ कर लिया गया तो चुनाव की कहानी बदल जाएगी. लेकिन यह भी हकीकत है कि देश में दलितों का सबसे बड़ा चेहरा मायावती हैं और उनकी आवाज पर ही दलित एकता मुमकिन हो सकेगी. चंद महीने बाद मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हैं और गठबंधन के शोर में मायावती की पार्टी इन राज्यों, खासकर मध्यप्रदेश में अपना जायज़ शेयर मांग रही है और ये बयान उसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है.
1989 में बिजनौर से चुनाव लड़ चुकी हैं मायावती
गौरतलब है कि साल 1989 में मायावती ने बिजनौर से चुनाव लड़ा था और वहां से चुनकर संसद पहुंची थीं. दलित-मुस्लिम गठजोड़ की बदौलत मायावती ने इस सीट से जीत हासिल की थी और यह सीट पारंपरिक तौर पर बसपा की मानी जाती है. इसी तरह वह अंबेडकरनगर से भी दलित-मुस्लिम एकता की बदौलत चुनाव जीत चुकी हैं.
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