नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की जिस दौरान नेताओं ने आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन एवं संगठन को मजबूत करने के लिए अपने विचार उनके साथ साझा किए. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस का वाररूम कहे जाने वाले ‘15 रकाबगंज रोड’ पर राहुल गांधी के साथ मुलाकात के दौरान इन नेताओं ने राज्य में पार्टी को मजबूत करने के सन्दर्भ में अपने विचार साझा किए. इसके साथ ही गठबंधन को लेकर भी अपनी राय से उनको अवगत कराया.


बैठक के बाद यह जानकारी सामने आई है कि आगामी लोकसभा चुनाव में राज्य में गठबंधन को लेकर पार्टी दो धड़ों में बंटी हुई है. पश्चिम बंगाल कांग्रेस का एक धड़ा तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं तो एक धड़ा सीपीआईएम के साथ जाने के पक्ष में है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, राहुल जी के साथ हमारी मुलाकात हुई है. सबने अपनी बातें उनके समक्ष रखीं हैं.


गठबंधन को लेकर दो राय होने संबंधी खबर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस विधायक मोइनुल हक ने तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन की खुलकर पैरवी की है. हक ने कहा, राहुल गांधी से मुलाकात का एक ही मुद्दा था कि लोकसभा चुनाव में किसके साथ जाने से हमें फायदा होगा. मैंने अपनी बात रखी. मैंने स्पष्ट किया कि 2016 में हालात अलग थे जब हमें सीपीआईएम के साथ चुनाव लड़ना पड़ा. मूल्यांकन के बाद पता चला कि गलत निर्णय था.


उन्होंने कहा, अभी की परिस्थिति में एक तरफ बीजेपी और दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस है. सबसे बड़ी समस्या बीजेपी है. अगर बीजेपी को रोकना है तो तृणमूल कांग्रेस के साथ जाना होगा. सीपीआईएम के साथ जाने का मतलब खुदकुशी करना होगा. अगर हम तृणमूल कांग्रेस के साथ नहीं जाते हैं तो इससे कांग्रेस को नुकसान होगा और तृणमूल कांग्रेस को भी नुकसान होगा. उन्होंने आने वाले समय में कांग्रेस छोड़ने संबंधी खबरों से इनकार किया. सूत्रों के मुताबिक अधीर रंजन चौधरी तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं. हाल के समय में पश्चिम बंगाल कांग्रेस में मतभेद की खबरें भी सामने आईं थीं. इस संदर्भ में आज की बैठक की काफी अहमियत है.