नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में दलित सम्मेलन के जरिए "संविधान बचाओ अभियान" की शुरुआत करेंगे. माना जा रहा है कि ये कवायद 2019 लोकसभा चुनाव में दलितों को कांग्रेस के पाले में लाने की कोशिश है. अहम बात ये है कि ये सम्मेलन ऐसे वक्त में हो रहा है जब एससी-एसटी एक्ट में बदलाव लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से देश भर में दलित समाज केंद्र की बीजेपी सरकार से नाराज है.


इस सम्मेलन में कांग्रेस के दलित सांसद, पार्टी के देश भर के दलित विधायकों के साथ साथ जिला और पंचायत स्तर के चुने हुए दलित प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. कांग्रेस के लगभग 5 हजार दलित प्रतिनिधियों के इस सम्मेलन में जुटने की उम्मीद है. इसकी शुरुआत के मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे और सुशील कुमार शिंदे शामिल हो सकते हैं.


पूरी संभावना है कि राहुल गांधी दलित सम्मेलन के मंच से दलितों के मुद्दे के साथ-साथ रेप, जजों जैसे दूसरे मुद्दों को लेकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधेंगे. दलितों के मुद्दे पर कांग्रेस ने 9 अप्रैल को देश भर में सांकेतिक उपवास रखा था. दिल्ली में राजघाट पर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को दलित विरोधी बताया था.


देश की राजनीति में 'दलित फैक्टर'
देश भर में अनुसूचित जाति के 17 फीसदी मतदाता हैं और लोकसभा की 84 सीटें इस समाज के लिए आरक्षित हैं. एससी-एसटी समाज कभी कांग्रेस का स्थाई वोटबैंक हुआ करते थे, लेकिन पिछले कई सालों में ये कांग्रेस से छिटक चुके हैं.


राहुल गांधी की कोशिश है कि 2019 लोकसभा चुनाव में दलित समाज एक बात फिर कांग्रेस का वैसा ही साथ दे, जैसा वो पहले देते थे. दलित सम्मेलन के बाद 29 अप्रैल को दिल्ली के रामलीला मैदान में राहुल गांधी 'हुंकार रैली' करने वाले हैं.