Congress President Result: कांग्रेस को आज लंबे अरसे के बाद अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने जा रहा है. करीब 24 साल बाद ऐसा होगा जब गांधी परिवार से इतर कोई कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर बैठेगा. इस रेस में पार्टी के सीनियर नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और शशि थरूर (Shashi Tharoor) शामिल हैं. दोनों के लिए 17 अक्टूबर को वोट डाले गए थे, जिसके बाद अब पार्टी मुख्यालय में वोटों की गिनती हो रही है, जिसके बाद नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान किया जाएगा. हालांकि ये बात साफ है कि जीत के बाद थरूर या खड़गे को कांटों भरा ताज अपने सिर पर पहनना होगा. कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, ऐसे में अध्यक्ष को पार्टी में फिर से जान फूंकने और तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. आइए जानते हैं कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए क्या बड़ी चुनौतियां होंगीं.
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए वोटों की गिनती आज सुबह 10 बजे से शुरू हुई. करीब 24 साल पहले सीताराम केसरी ऐसे अध्यक्ष थे, जो गांधी परिवार से नहीं थे. उनके बाद अब कांग्रेस में ऐसा दूसरा अध्यक्ष चुना जाएगा. कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए छठी बार चुनाव हो रहा है.
नए कांग्रेस अध्यक्ष की बड़ी चुनौतियां
नए कांग्रेस अध्यक्ष की सबसे बड़ी चुनौती आने वाले चुनाव होंगे. देश के दो अहम राज्यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. नए अध्यक्ष के लिए यही उनकी पहली परीक्षा होगी. दोनों राज्यों में पार्टी कार्यकर्ताओं में जान फूंकने और टिकट बंटवारे तक की जिम्मेदारी अध्यक्ष की होगी. ऐसे में अध्यक्ष के लिए खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती होगी.
पार्टी को एकजुट करना
नए अध्यक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती ये होगी कि कैसे वो कांग्रेस में जारी कलह को खत्म कर सकते हैं. पार्टी को लगातार चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में तमाम बड़े और छोटे नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं. ऐसे नेताओं को रोक पाना भी नए अध्यक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती की तरह है. इसके अलावा पार्टी में नाराज नेताओं का एक अलग गुट है, जिसे जी-23 का नाम भी दिया गया, उन नेताओं की उम्मीदों पर भी नए अध्यक्ष को खरा उतरना होगा. ये नाराज धड़ा लगातार पार्टी में चुनाव की मांग करता आया है, ऐसे में गैर गांधी परिवार के अध्यक्ष चुने जाने के बाद इन नेताओं का रुख भी काफी अहम हो जाता है. पार्टी के तमाम बड़े नेता एक ही लाइन पर चलें, ये नए अध्यक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
राज्यों में पार्टी को मजबूती
नए कांग्रेस अध्यक्ष के लिए राज्यों में कांग्रेस को मजबूती देने की भी बड़ी चुनौती होगी. लगातार मिल रही हार से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश की कमी है, ऐसे में उन कार्यकर्ताओं को बूथ लेवल पर एक्टिव करना काफी जरूरी है. इसके लिए कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए पार्टी में लचीलापन लाने की कोशिश होगी. पार्टी में कार्यकर्ता और नेता लगातार हाईकमान कल्चर का आरोप लगाते आए हैं. इसे तोड़ना भी नए अध्यक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगा.
राजस्थान में गहलोत बनाम पायलट की लड़ाई
राजस्थान में अगले एक साल में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन इससे पहले प्रदेश कांग्रेस में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. यहां सीएम अशोक गहलोत और पार्टी नेता सचिन पायलट के बीच जमकर घमासान जारी है. दोनों नेता एक दूसरे के खिलाफ खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं और पार्टी आलाकमान इसका समाधान नहीं कर पाया. अब कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए इस लड़ाई को खत्म करना भी एक चुनौती होगा. अध्यक्ष पद के लिए नाम सामने आने के बाद अशोक गहलोत पहले ही अपने इरादे साफ कर चुके हैं, वहीं पायलट की बगावत से पार्टी पहले से ही वाकिफ है. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले राजस्थान में कांग्रेस क्या फैसला लेती है, इस पर सभी की नजरें टिकीं हैं.
इन सबके अलावा नए पार्टी अध्यक्ष के सामने कांग्रेस के केंद्रीय ढांचे को मजबूत करना भी एक चुनौती होगा. पार्टी के हर बड़े फैसलों के लिए एक मजबूत कमेटी और सभी बड़े नेताओं को उसमें शामिल करना इसका हिस्सा होगा. कुल मिलाकर इन तमाम चुनौतियों को पार करके ही कांग्रेस को नई ताकत दी जा सकती है. फिलहाल सभी की नजरें अध्यक्ष चुनाव के नतीजों पर टिकी हैं.