Rahul Gandhi On GST: सांसद और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कपड़े पर बढ़ाई गई जीएसटी की दरों को लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने एक खबर का स्क्रीनशट शेयर करते हुए कहा कि 'अच्छे दिनों' का पर्दाफाश जारी है. दरअसल वित्त मंत्रालय ने कपड़े पर लगने वाले जीएसटी दर को बढ़ाकर 5 से 12 फीसदी करने का फैसला किया है. केंद्र का ये फैसला 1 जनवरी 2022 से लागू होगा.


राहुल गांधी ने केंद्र के फैसले की आलोचना करते हुए ट्वीट किया, "GST में किया 140% विकास. जारी है ‘अच्छे दिनों’ का पर्दाफ़ाश."




क्या है पूरा मामला?


वित्त मंत्रालय ने हाथ से बनाए जाने वाले फाइबर (एमएमएफ), धागा, कपड़े और परिधान पर एक समान 12 प्रतिशत की जीएसटी दर अधिसूचित कर दी है. इस तरह एमएमएफ कपड़ा मूल्य श्रृंखला में विपरीत कर संरचना को ठीक कर दिया गया है. वर्तमान में एमएमएफ पर 18, एमएमएफ धागा पर 12 और एमएमएफ कपड़े पर 5 प्रतिशत जीएसटी दर है.


केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की गत 17 सितंबर को हुई पिछली बैठक में फैसला किया गया था कि कपड़ा क्षेत्र की शुल्क विसंगतियों को एक जनवरी, 2022 से ठीक कर दिया जाएगा. इस निर्णय को प्रभावी करते हुए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) ने 18 नवंबर को एमएमएफ, एमएमएफ धागा और एमएमएफ कपड़ा के लिए जीएसटी की 12 फीसदी की एकसमान दर अधिसूचित कर दी.


महंगाई को लेकर प्रियंका गांधी ने भी केंद्र पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट किया, "मोदी जी के राज में ऐसा कुछ भी बचा नहीं, जिसको महंगा किया नहीं. आटा महंगा, मोबाइल का डाटा महंगा. जीवन बीमा महंगा, जीवन जीना महंगा. कपड़े महंगे, जूते महंगे, महंगी सब्जी-दाल "बहुत हुई महंगाई की मार" का नारा देने वाले अब हर रोज जनता पर महंगाई का प्रहार कर रहे हैं."


 






RAI ने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा


रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (RAI) ने मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, राज्य सरकारों और जीएसटी परिषद से जनवरी से कपड़े और परिधान सामग्री पर जीएसटी दर को बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. आरएआई ने कहा कि इससे 85 प्रतिशत क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. यह कहते हुए कि वस्त्र खुदरा व्यवसाय पहले से ही संकट में हैं, आरएआई ने कहा कि कुल कपड़ा मूल्य श्रृंखला के एक छोटे से खंड के रूप में कपड़ा उद्योग में विपरीत कर संरचना के मुद्दे को हल करने के लिए सात प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया गया है.


खुदरा विक्रेताओं के निकाय ने एक बयान में कहा, ‘‘हालांकि, जीएसटी दर में इतनी अधिक वृद्धि उद्योग के 85 प्रतिशत हिस्से पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी.’’ आरएआई के सीईओ कुमार राजगोपालन ने कहा, ‘‘वस्त्र और परिधान पर जीएसटी दरों में वृद्धि इसके प्रभाव के कारण किसी के हित में नहीं है. व्यापार पक्ष पर, यह पहले से ही संकटग्रस्त क्षेत्र के वित्तीय बोझ को बढ़ाएगा, इसकी गति को धीमा कर देगा. विशेष रूप से एमएसएमई व्यवसायों के मामले में उनकी वापसी और पूंजी को प्रभावित करेगा, जो उद्योग का 90 प्रतिशत हिस्सा है.


उपभोक्ता पक्ष पर पड़नें वाले प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘इससे कपड़ों की कीमतों में वृद्धि होगी, जिससे खपत में गिरावट आएगी. सरकार की ओर इसके प्रभाव को देखें तो, लंबी अवधि में, इसकी वजह से कई असंगठित व्यवसाय जीएसटी के दायरे से बाहर हो सकते हैं.’’


आरएआई ने केंद्र और राज्य सरकारों और जीएसटी परिषद से इस क्षेत्र के पूर्ण पतन को रोकने और आशा तथा निश्चितता का माहौल बनाए रखने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.


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