Nyay Yatra: 'आदिवासी होने के चलते राष्ट्रपति मुर्मू को नहीं मिली राम मंदिर में एंट्री', गुजरात पहुंचते ही बोले राहुल गांधी
Bharat Jodo Nyay Yatra: अयोध्या में हुई राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में देशभर से आए लोगों ने हिस्सा लिया था. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को भी निमंत्रण मिला था, लेकिन वह इसमें शामिल नहीं हुआ.
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Rahul Gandhi: कांग्रेस पार्टी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' गुरुवार (7 मार्च) को राजस्थान के रास्ते गुजरात में दाखिल हुई. इस दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दाहोद जिले के झालोद में आदिवासियों की एक सभा को संबोधित किया. यहां उन्होंने जातिगत कार्ड खेलते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में जाने से इसलिए रोका गया, क्योंकि वह एक आदिवासी हैं. राहुल पहले भी इस तरह की बात कर चुके हैं.
झालोद में एक बार फिर से राहुल ने जातिगत जनगणना की बात को दोहराया. कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने कई बिजनेसमैन के 16 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को माफ कर दिया. राहुल आम आदमी पार्टी (आप) के गुजरात अध्यक्ष इसुदान गढ़वी और आप के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव गोपाल इटालिया के साथ झालोद में मंच साझा कर रहे थे. कांग्रेस नेता शुक्रवार सुबह दाहोद में अपनी पदयात्रा शुरू करने वाले हैं.
राष्ट्रपति को आदिवासी होने पर नहीं मिली राम मंदिर में एंट्री: राहुल गांधी
आदिवासियों की भीड़ को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, 'आप सभी ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा देखी, लेकिन क्या आपको वहां भारत की राष्ट्रपति दिखीं? आखिर क्यों उन्हें वहां एंट्री नहीं दी गई? क्योंकि वह आदिवासी हैं, इसलिए उन्हें आने से मना किया गया.'
उन्होंने आगे कहा, 'क्या आपने वहां कोई गरीब किसान, मजदूर देखा? लेकिन आपने मंदिर के अंदर आरएसएस नेताओं को देखा और आपने अदानी, अंबानी, पूरे बॉलीवुड और क्रिकेट जगत को मौजूद होते हुए देखा. क्या आपने कोई गरीब व्यक्ति देखा?'
जातिगत जनगणना की मांग को फिर दोहराया
कांग्रेस नेता ने कहा, 'भारत 50 फीसदी पिछड़े वर्गों, 8 प्रतिशत आदिवासियों और 15 प्रतिशत दलितों से बना है. लेकिन जब आप इंडस्ट्री में टॉप लेवल या कंपनियों, व्यवसायों, अस्पतालों या मीडिया हाउसों के मालिकों की लिस्ट देखेंगे तो आपको इन समुदायों से कोई नहीं मिलेगा. यहां तक कि सरकारी कार्यालयों में भी आपको इन समुदायों से केवल दो या तीन व्यक्ति ही मिलेंगे.'
उन्होंने आगे कहा, 'आखिर प्रतिनिधित्व कहां है? इसलिए ही जाति जनगणना की जरूरत है. लेकिन जैसे ही मैंने कहा कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए ताकि भारतीयों को पता चले कि देश के पैसे पर किसका नियंत्रण है, तो मोदी जी ने कहा कि भारत में कोई जाति नहीं है, तो फिर वह खुद को ओबीसी क्यों कहते हैं?'
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