Rahul Gandhi writes Letter to PM Narendra Modi: लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में सहायक शिक्षकों के भर्ती में 6,000 से ज्यादा आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों की कथित अनदेखी के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल गांधी ने अपनी चिट्ठी में पीएम मोदी से ओबीसी और एससी कैटेगरी के उम्मीदवारों के लिए न्याय सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है. 9 मार्च को भेजे गए पत्र में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने और जवाबदेही सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है.
राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को भी मिली थीं विसंगतियां
राहुल ने चयनित उम्मीदवारों की श्रेणी-वार सूची के साथ-साथ उनकी ओर से प्राप्त अंकों की डिटेल भी सार्वजनिक करने की मांग की है. जुलाई 2020 में यह मुद्दा राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सामने लाया गया था, जिसने जांच की और सीटों के आवंटन में विसंगतियों की पहचान की.
इस तरह हुआ OBC उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन
रिपोर्ट के मुताबिक, ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित 18,598 सीटों में से 5,844 सीटें अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को दे दी गईं और इस तरह ओबीसी उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन किया गया.
आंदोलन और प्रदर्शन का भी नहीं हुआ असर
इसके बाद आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने आंदोलन शुरू कर दिया. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल ने भी आरक्षित वर्ग की अनदेखी का मुद्दा उठाया था. आयोग के निष्कर्षों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल 2021 में एक समीक्षा शुरू की और सुधारात्मक उपायों को लागू करने के निर्देश दिए. 5 जनवरी, 2022 को राज्य सरकार ने 6,800 व्यक्तियों की एक सूची जारी की, जिनके साथ अनुचित व्यवहार किया गया था और उन्हें आगामी नौकरी के अवसरों का आश्वासन दिया गया था.
अदालत ने भी माना आरक्षण को लागू करने में हुई गड़बड़ी
इसके बाद मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सामने लाया गया और मार्च 2022 में अदालत ने फैसला सुनाया कि भर्ती परीक्षा के दौरान आरक्षण के कार्यान्वयन में अनियमितताएं थीं और राज्य को प्रारंभिक सूची को रद्द करने का निर्देश देते हुए एक तीन महीने के अंदर नई लिस्ट तैयार करने का निर्देश मिला है. कानूनी लड़ाई जारी रहने के बावजूद, इसमें शामिल 6,800 लोग लगातार अपने नियुक्ति पत्र दिए जाने पर जोर दे रहे हैं.
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