(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
All Party Meeting: सर्वदलीय बैठक पर कांग्रेस ने पीएम मोदी को घेरा, बोली- 50 दिन से मणिपुर पर एक शब्द नहीं बोला
Congress On Manipur Violence: मणिपुर हिंसा मामले पर दिल्ली में शनिवार (24 जून) को हुई सर्वदलीय बैठक को लेकर कांग्रेस ने कई सवाल उठाए हैं.
All Party Meeting Over Manipur Violence: मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से शनिवार (24 जून) को दिल्ली में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद कांग्रेस ने कई सवाल उठाए. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बैठक के बारे में ट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया है.
जयराम रमेश ने बैठक के बारे में बिंदुवार तरीके से अपनी बातें ट्वीट में रखीं. उन्होंने लिखा, ''यह सर्वदलीय बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होनी चाहिए थी जिन्होंने पिछले 50 दिनों में मणिपुर को लेकर एक शब्द नहीं बोला है.
कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक को बताया महज दिखावा
रमेश ने कहा कि गृह मंत्री की ओर से बुलाई गई इस बैठक को महज दिखावा और औपचारिकता करार दिया. उन्होंने आरोप लगाया, ''प्रमुख विपक्षी दल के रूप में हमारे प्रतिनिधि मणिपुर के सबसे वरिष्ठ नेता और 3 बार निर्वाचित सीएम ओकराम इबोबी सिंह को मणिपुर के लोगों के दर्द और पीड़ा का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया.''
The all-party meeting organised by the Home Minister today was just an eye-wash and a formality.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 24, 2023
As the principal Opposition party, our representative the senior most leader from Manipur, 3-time elected CM Okram Ibobi Singh, was not allowed to present his points representing… pic.twitter.com/XMjfWXYHBa
ओकराम इबोबी को सिर्फ 7 मिनट दिए गए- जयराम रमेश
जयराम रमेश और मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह मीडिया के सामने भी आए और बीजेपी पर हमला बोला. जयराम रमेश ने यहां भी कहा, ''बड़े अफसोस की बात है कि ओकराम इबोबी सिंह जी को 3 घंटे के समय में से सिर्फ 7 मिनट दिए गए. इबोबी जी 15 साल तक मणिपुर के मुख्यमंत्री रहे हैं. वह प्रमुख विपक्षी पार्टी की ओर से मीटिंग में मौजूद थे. ये बड़े अफसोस की बात है और अपमानजनक भी है.''
कांग्रेस की ओर से कहा गया, ''बेहतर होता कि सर्वदलीय बैठक इंफाल में होती जिससे एक संदेश जाता कि मणिपुर की पीड़ा देश की पीड़ा है. वहां अलग-अलग मिलिटेंट ग्रुप हैं जिनके पास हथियार हैं. हमारी मांग है कि बिना किसी भेदभाव के सारे मिलिटेंट ग्रुप से हथियार वापस लिए जाएं. जब तक एन बीरेन सिंह मुख्यमंत्री रहेंगे तब तक मणिपुर में परिवर्तन की संभावना नहीं है, उनसे इस्तीफा लेना चाहिए. मुख्यमंत्री ने खुद स्वीकारा है कि मैं स्थिति को संभाल नहीं पाया, ऐसे हालात में उनका मुख्यमंत्री रहना नामुमकिन है.''
कांग्रेस की मांग
1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर पर अपनी चुप्पी तोड़ें.
2. अगर प्रधानमंत्री इस सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करते और यह इंफाल में होती तो मणिपुर के लोगों को स्पष्ट संदेश जाता कि उनका दर्द और संकट भी राष्ट्रीय पीड़ा का विषय है.
3. मणिपुर में तत्काल सभी मिलिटेंट ग्रुप के पास से हथियार छीनने चाहिए.
4. राज्य के मुख्यमंत्री को तुरंत बदला जाना चाहिए.
5. जो भी कार्यवाही हो, संविधान के तहत होनी चाहिए.
6. सभी की शिकायतों को सुनकर संवेदनशीलता के साथ आम सहमति बनानी चाहिए.
7. केंद्र सरकार की ओर से दोनों राष्ट्रीय राजमार्गों को हर समय खुला और सुरक्षित रखकर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए.
8. प्रभावित लोगों के लिए राहत, पुनर्वास और आजीविका का पैकेज बिना देरी किए तैयार किया जाना चाहिए. घोषित राहत पैकेज अपर्याप्त है.