Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होना है. इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच का सालों पुराना झगड़ा सुलझा लिया है. ये दावा पार्टी आलाकमान ने किया है. कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे के घर चार घंटों तक चली बैठक के बाद गहलोत और सचिन पायलट साथ नजर आए. राहुल गांधी भी इस बैठक में मौजूद रहे.


29 मई को खरगे के घर करीब चार घंटे तक चारों नेताओं के बीच मंथन चलता रहा. खरगे और राहुल गांधी ने पायलट और गहलोत से अलग-अलग भी बात की. मीटिंग में फैसला हुआ कि दोनों नेता मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. बैठक के बाद गहलोत और पायलट दोनों नेताओं ने कुछ नहीं कहा. अभी ये साफ नहीं हुआ कि दोनों के बीच सुलह किन शर्तों पर हुई है. मीटिंग में क्या हुआ ये जानकारी दी कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने दी.


साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे गहलोत-पायलट
केसी वेणुगोपाल ने कहा, "दोनों साथ काम करेंगे. दोनों पर हाईकमान फैसला लेगा. साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. राजस्थान में बीजेपी के खिलाफ जीतेंगे. हमने निर्णय किया है कि कांग्रेस यूनाइडेली चुनाव में जाएगी. दोनों पर फैसला अलाकमान लेगा. मुद्दों पर फैसला अलाकमान लेगा और तय हुआ कि साथ मिलकर लड़ेंगे."


सूत्रों के मुताबिक, पार्टी आलाकमान ने गहलोत और पायलट से अलग-अलग बैठक की. दोनों नेताओं ने खुलकर अपना पक्ष रखा. कांग्रेस नेतृत्व ने दोनों नेताओं गहलोत और पायलट से मतभेद भुलाकर इस साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए एकजुट होने की अपील की. सुलह के फार्मूले की तस्वीर साफ नहीं है लेकिन पायलट को उनके मुद्दों पर कार्रवाई का भरोसा दिया गया.


अब पायलट का सम्मान करेंगे गहलोत!
सूत्रों से जानकारी मिली है कि राजस्थान को लेकर आने वाले दिनों में कांग्रेस अध्यक्ष खरगे फैसले करेंगे. कांग्रेस गहलोत के नेतृत्व में ही अगला विधानसभा चुनाव लड़ेगी लेकिन सचिन पायलट की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी. सुलह के मद्देनजर पायलट अब गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा नहीं खोलेंगे. गहलोत भी सचिन को सम्मान देंगे.


कांग्रेस सचिन पायलट की बगावत से परेशान थी लेकिन अब कर्नाटक की तर्ज पर आपसी मनमुटाव को चुनाव बाद तक टालने का फैसला लिया गया है. अब फैसला राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद के नतीजों पर होगा.


राजस्थान में किसका दबदबा
राजस्थान में फिलहाल कांग्रेस की सरकार है और अशोक गहलोत प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में दिसंबर 2023 से पहले चुनाव कराए जा सकते हैं. कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर की संभावना है. राज्य में दो दशक तक बीजेपी नेता वसुंधरा राजे का दबदबा माना जाता रहा था, लेकिन अब बीजेपी राजस्थान में नया नेतृत्व तलाश कर रही है.


दिसंबर 2018 विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी को 2023 चुनाव में यहां सत्ता में वापसी करने की उम्मीद है तो वहीं सीएम गहलोत चाहेंगे कि यहां कांग्रेस की सरकार बरकरार रहे.


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