नई दिल्ली: व्हाट्सएप जासूसी कांड में कांग्रेस ने बड़ा दावा किया है. कांग्रेस की ओर केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी का भी फोन हैक किया गया. कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रियंका गांधी को भी फोन हैक करने वाला मैसेज आया था. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार इस जासूसी मामले की जांच करवाए. बता दें कि इससे पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी फोन हैकिंग का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार के इशारे पर मेरा फोन टैप किया गया था.


कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''जहां तक मुझे जानकारी है व्हाट्सएप ने कथित तौर पर उन लोगों को मैसेज भेजा जिनके फोन हैक हुए , ऐसा ही एक मैसेज व्हाट्सएप की तरफ से प्रियंका गांधी वाड्रा को भी भेजा गया. व्हाट्सएप ने ये नहीं कहा (अपने मैसेज में) कि फोन को अवैध पिगैसस सॉफ्टवेयर की मदद से हैक किया गया , लेकिन जो मैसेज उन्होंने सबको भेजा उसके बारे में आम लोग जानते हैं और ऐसा ही एक मैसेज प्रियंका गांधी को भी आया है.'' इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल है कि प्रधानमंत्री ने अब तक इस मामले में चुप्पी क्यों साध रखी है.





रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि इस कांड के सामने आने के बाद बीजेपी के सरकार की पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है. सुरजेवाला ने जासूसी कांड को लेकर बीजेपी सरकार के सामने पांच सवाल भी उठा. सुरजेवाला ने कहा, ''पहला सवाल- क्या बीजेपी सरकार 2019 के सांसद चुनाव के समय भारत के राजनेताओं विपक्ष के नेता पत्रकार और पॉलीटिकल एक्टिविस्ट की जासूसी करवा रही थी?''


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उन्होंने कहा, ''दूसरा सवाल कि भारत सरकार में कैसे स्पाइवेयर की खरीद और उसे गैरकानूनी और असंवैधानिक तरीके से इस्तेमाल करने की इजाजत दी. पीएम ने एनएसए ने या फिर गृह मंत्रालय ने. तीसरा सवाल कि इसकी खरीद के इजाजत किसने दी पीएम ने दी या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने ?''


सुरजेवाला ने कहा, ''चौथा सवाल 14 साल भारत सरकार को पेगासस स्पाइवेयर की जानकारी थी तो भारत सरकार रहस्यमई चुप्पी क्यों साधे हुए हैं. पांचवा सवाल उन मंत्रियों राजनेता और अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी जिन्होंने इस पूरे जासूसी कांड और गांड में खरीद और इस्तेमाल की जाती थी. कैसा ही नहीं कि भारत सरकार के मंत्री और अधिकारी विक्रांत 1985 अलग-अलग दोषी है.''


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बता दें कि गुरुवार को खुद व्हाट्सएप ने कहा था कि इसराइल की साइबर इंटेलिजेंस कंपनी NSO ने अपने स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया और मई में कई पत्रकारों, वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की.