कांग्रेस में बदल रहा वर्क कल्चर, राहुल गांधी को हर महीने का रिपोर्ट कार्ड जमा करेंगे पार्टी सचिव
कांग्रेस संगठन में अध्यक्ष और महासचिवों के बाद सचिव का पद ही होता है. हर राज्य में करीब चार सचिव बनाएं जा रहे हैं. महीने की रिपोर्ट अच्छी बने इसके लिए कांग्रेस नेताओं को दिल्ली में जमे रहने की बजाय प्रभार वाले इलाके में जम कर पसीना बहाना होगा.
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस में धीमे-धीमे पार्टी के कामकाज का कल्चर बदल रहे हैं. जल्द ही कांग्रेस वर्किंग कमिटी का एलान होने वाला है. उससे पहले पार्टी के सभी सचिवों को आदेश जारी किया गया है कि महीने की दस तारीख तक वो अपने कामकाज की रिपोर्ट सौंपें. ये रिपोर्ट 15 तारीख से पहले राहुल गांधी के पास पहुंचनी है. रिपोर्ट में पार्टी सचिवों को गांवों के दौरों से लेकर सोशल मीडिया एक्टीविटी तक का ब्यौरा देना होगा.
कांग्रेस के नए-पुराने सचिवों के पास एक चिट्ठी और प्रारूप भेजी गई है जिसके अनुसार उन्हें हर महीने अपने काम का पूरा ब्यौरा पार्टी को देना है. ये चिट्ठी पार्टी के संगठन महासचिव अशोक गहलोत ने 6 जुलाई को सचिवों को भेजी है. इसमें कहा गया है कि इस नाजुक मौके पर पार्टी को फिर से ऊर्जावान करने के लिए आपकी भूमिका महत्वपूर्ण है. कांग्रेस अध्यक्ष चाहते हैं कि पार्टी सचिव अपने कामकाज की रिपोर्ट जमा करें. सभी सचिव अपनी रिपोर्ट महीने की 10 तारीख तक अपने महासचिव को भेज दें जिसकी एक कॉपी संगठन महासचिव अशोक गहलोत को भी भेजी जाए. इसके बाद 15 तारीख तक गहलोत सचिवों को लेकर एक संक्षिप्त रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को भेजेंगे.
फॉर्म में दस बिंदु हैं. इसके मुताबिक महीने भर में की गई बैठकों का ब्यौरा, जिन गांवों या इलाकों में घूमे उसका ब्यौरा, पार्टी कमीटियों का गठन, कमिटियों के नियमित बैठकों का ब्यौरा, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक वर्गों के लिए किए गए कार्यक्रम; छात्र, युवा महिलाओं के साथ किए गए कार्यक्रम; कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के कार्यक्रम; विवादों को सुलझाने के प्रयास; चुनाव से जुड़ी तैयारी की जानकारी देनी है.
इसके साथ साथ सोशल मीडिया पर किए गए कार्य; पदाधिकारियों, वोटरों का डाटाबेस तैयार करना; 'शक्ति' प्लेटफॉर्म में कार्यकर्ताओं का रजिस्ट्रेशन और संवाद; लोगों से जुड़े मुद्दों पर धरना-प्रदर्शन, पदयात्रा; बूथ कमिटी को एक्टिव करना, मीडिया में प्रचार-प्रसार की जानकारी पार्टी को देनी है. इसके अलावा भी कोई महत्वपूर्ण काम किया हो तो उसके बारे में भी बताना है.
कांग्रेस संगठन में अध्यक्ष और महासचिवों के बाद सचिव का पद ही होता है. हर राज्य में करीब चार सचिव बनाएं जा रहे हैं. महीने की रिपोर्ट अच्छी बने इसके लिए कांग्रेस नेताओं को दिल्ली में जमे रहने की बजाय प्रभार वाले इलाके में जम कर पसीना बहाना होगा. दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष पार्टी महासचिवों, प्रभारियों से नियमित मिल कर फीडबैक और रिपोर्ट लेते रहते हैं. लेकिन सचिवों के अध्यक्ष को रिपोर्ट करने को लेकर कोई स्पष्ट प्रक्रिया नहीं थी. अब राहुल गांधी ने प्रक्रिया तय कर दी है, प्रारूप जारी कर दिया है और एक डेडलाइन भी दे दी है.
हालांकि पार्टी अध्यक्ष का निर्णय सचिवों का काम बढ़ाने वाला है लेकिन वो इस कदम का स्वागत कर रहे हैं. नव नियुक्त सचिव वीरेंद्र राठौड़ ने कहा कि पहले भी रिपोर्टिंग होती ही रही है लेकिन बदलाव अच्छा है. नए फॉर्मेट से संगठन मजबूत होगा, डाटा बेस भी तैयार होगा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने यूथ कांग्रेस के तौर पर कई बदलाव किए. आम युवाओं के लिए राजनीति में रास्ता खोला. उन्होंने नया वर्क कल्चर शुरू किया था. यूथ कांग्रेस से आये नेताओं के लिए ये नई बात नही है, इसके अनुसार हम वहां भी काम करते आए हैं.
वहीं पार्टी के झारखंड प्रभारी आर. पी. एन. सिंह ने कहा कि इसके जरिए जिम्मेदारी तय की गई है. इससे कांग्रेस अध्यक्ष को राज्यों की कमियां, क्या काम हो रहा है जैसी बातों की पूरी जानकारी रहेगी. ये पता चलेगा कि कहां ज्यादा ध्यान देना है. इससे संगठन और चुस्त-दुरुस्त बनेगा.
माना जा रहा है कि राहुल गांधी की इस कवायद का मकसद ये है कि मिहनत करने वालों को इनाम दिया जा सके उनकी जिम्मेदारी और बढ़ाई जा सके और साथ ही कामचोरी की कोई सोचे भी नहीं. हालांकि ध्यान ये भी रखना होगा कि सारी मिहनत केवल कागजों तक ही सीमित ना रहे.