India China Clash: ‘1962 की जंग के वक्त...’, चीन से जंग को लेकर पंडित नेहरू को शशि थरूर ने इस तरह किया याद
Uproar In Parliament On India China Clash: भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश में हुई झड़प को लेकर संसद में हंगामा जारी है. विपक्ष लगातार सरकार से चर्चा करने के लिए कह रहा है.
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Shashi Tharoor On India China Clash: अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के बीच हुई झड़प का मामला संसद में गूंज रहा है. इसको लेकर विपक्ष नरेंद्र मोदी सरकार पर हमले भी कर रहा है और संसद में चर्चा करने पर जोर डाल रहा है. इसी क्रम में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने साल 1962 में हुई चीन के साथ जंग को लेकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को याद किया है.
एनडीटीवी से बात करते हुए शशि थरूर ने कहा कि हम सिर्फ मामले पर चर्चा करना चाहते हैं. यहां तक कि साल 1962 में हुई चीन से जंग के दौरान जवाहर लाल नेहरू ने भी चर्चा की थी और सदन को चलने दिया था. वो सभी की बात सुनने के लिए तैयार थे. मुझे लगता है कि उस वक्त 100 सांसदों ने चर्चा की थी और उसके मुताबिक निर्णय लिया गया था. उन्होंने कहा कि इस तरह की चीजें लोकतंत्र में होनी चाहिए. कांग्रेस पर हमला करने के लिए बीजेपी दो चीजों का इस्तेमाल करती है. पहली जवाहर लाल नेहरू की कथित रूप से नरम नीतियां और वो युद्ध जिसमें भारत को काफी नुकसान उठाना पड़ा था.
‘संसदीय जवाबदेही जरूरी’
पीटीआई से बात करते हुए शशि थरूर ने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे देश को संसदीय जवाबदेही की जरूरत है. राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी, कुछ चीजें गोपनीय होती हैं, लेकिन कुछ नीतिगत मुद्दे भी होते हैं, जिन पर चर्चा की जा सकती है.
5 साल से चीनी हमारी एलएसी पर घुसपैठ कर रहे हैं या इसकी कोशिश कर रहे हैं. साल 2017 में चीन के साथ डोकलाम टकराव से 9 दिसंबर को तवांग तक लगातार घटनाएं हो रही हैं. गलवान घाटी, देपसांग, हॉट स्प्रिंग के भी मामले हुए हैं. थरूर ने कहा कि सरकार को समग्र जानकारी देनी चाहिए और जनता से बात करनी चाहिए.
‘राजनाथ सिंह के स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं’
इसके अलावा शशि थरूर रक्षा मंत्री के उस बयान से भी संतुष्ट नहीं दिखे जिसमें उन्होंने चीन के साथ हुई हिंसक झड़प को लेकर संसद में बयान दिया था और सभी पार्टियों को एक होने के लिए कहा था. थरूर ने विपक्ष के एकजुट होने पर जोर देते हुए कहा कि सिर्फ एक छोटा सा बयान वो भी बिना किसी स्पष्टीकरण के, बिना किसी सवाल के- मुझे ये कहते हुए खेद है कि ये लोकतंत्र नहीं है.
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