नई दिल्लीः आज पीएम आवास पर हुई सेलेक्ट कमेटी की बैठक में फैसला सीबीआई चीफ आलोक वर्मा के खिलाफ गया है. इसके बाद आलोक वर्मा को पद से हटा दिया गया है. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे आलोक वर्मा को हटाने के पक्ष में नहीं थे लेकिन 2-1 के बहुमत से आलोक वर्मा को पद से हटा दिया गया है. इसके बाद कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पीएम मोदी पर निशाना साधा.


कांग्रेस की तरफ से आनंद शर्मा ने कहा कि सीबीआई से संबंधित घटनाक्रम अपने आप में चौंकाने वाला है. सीवीसी की सिफारिश से लेकर मध्यरात्रि में आदेश जारी करना, सुरक्षा सीआईएसएफ से लेकर दिल्ली पुलिस को देना, आधी रात में अधिकारियों का सीबीआई ऑफिस जाना, आलोक वर्मा से रातोंरात चार्ज लेना इन सबकी जांच होनी चाहिए. आधी रात को हुई कार्रवाई की जांच से लेकर कई मुद्दों की जांच होनी बाकी है.


आज के फैसले से साबित हो गया कि पहले फैसला आने में 77 दिन लगे और राहत 1 दिन की भी नहीं रही. सीवीसी की रिपोर्ट में अगर दम होता तो कोर्ट ने संज्ञान लिया होता, इसीलिए उसे असंवैधानिक करार दिया गया. अब सीवीसी की निष्पक्षता पर सवाल उठता है कि क्या वो मोदी सरकार के इशारे पर काम करते हैं. अब सवाल सीबीआई की विश्वसनीयता का है. ये संस्था प्रधानमंत्री के संकेत पर चलने वाली, उनके आदेश को मनाने वाली संस्था बन कर रह गई है.


आज के फैसले से साबित होता है कि कमेटी ने न्याय नहीं किया. हमारे नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा को पूरा कार्यकाल देने की मांग की लेकिन इसे खारिज कर दिया गया. खड़गे की बात सुनी जानी चाहिए थी, आलोक वर्मा जो सफाई का मौका देना चाहिए था. ये पहला मौका है कि सीबीआई डाइरेक्टर को सफाई देने का मौका दिए बिना चलता कर दिया गया.


आनंद शर्मा ने पूछा कि प्रधानमंत्री को क्या घबराहट है? और क्या वो सीबीआई निदेशक को हटा कर अपने पसंद के अधिकारी को रखना चाहते हैं? सीबीआई डाइरेक्टर को भी आम लोगों जैसे अधिकर हैं, उन्हें बचाव का मौका मिलना चाहिए था. सीवीसी की रिपोर्ट में 6 बातें गलत पाई गई, 4 में भी कोई सबूत नहीं है. कानूनन कोई कार्रवाई नहीं हो सकती थी लेकिन प्रधानमंत्री ने ऐसा किया, क्या उनकी कोई मजबूरी है? क्या प्रधानमंत्री अपने आसपास के लोगों का बचाव कर रहे हैं.


आनंद शर्मा ने आगे कहा कि न्यायपालिका के निर्णय पर भी सुप्रीम कोर्ट में विचार होता है. हम किसी व्यक्ति (जस्टिस सीकरी) के विवेक की बात नहीं कर रहे. हम कह रहे हैं कि चयन समिति में न्याय नहीं हुआ.


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