सोनिया गांधी की पीएम मोदी से मांग- आयुष्मान भारत योजना के तहत ब्लैक फंगस को करें कवर
सोनिया गांधी ने ब्लैक फंगस के मामलों में बढ़ोतरी और जरूरी दवा की कथित कमी को लेकर चिंता प्रकट करते हुए पीएम मोदी से आग्रह किया कि इस बीमारी के मरीजों को राहत प्रदान करने के लिए तत्काल जरूरी कदम उठाए जाएं.
नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण के बाद अब ब्लैक फंगस या म्यूकोर्मिकोसिस नाम की बीमारी पूरे देश में तेजी से फैल रही है. कई राज्यों ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है. इस बीच कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर आयुष्मान भारत और अन्य स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत ब्लैक फंगस को भी कवर करने का अनुरोध किया है. साथ ही इसके इलाज के लिए बाजार में एंफोटेरिसिन-बी दवा की भारी कमी पर कार्रवाई करने की मांग भी की है.
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में इस बात जिक्र भी किया कि केंद्र ने राज्यों से ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने के लिए कहा है. सोनिया ने कहा, ‘‘महामारी घोषित करने का मतलब यह है कि इसके इलाज के लिए जरूरी दवाओं का पर्याप्त उत्पादन और आपूर्ति सुनिश्चित करना आवश्यक है. साथ ही मरीजों की मुफ्त देखभाल की जाए. म्यूकोरमाइकोसिस से प्रभावित हो रहे बड़ी संख्या में मरीजों को राहत देने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं.’’
उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि ब्लैक फंगस से उत्पन्न होने वाले रोग म्यूकरमाइकोसिस के इलाज में काम आने वाली दवा ‘एंफोटेरिसिन-बी’ के उत्पादन के लिए पांच और कंपनियों को लाइसेंस दिया गया है और वे जुलाई से हर महीने इस दवा की 1,11,000 शीशियों का उत्पादन शुरू करेंगी.
सोनिया गांधी की पीएम मोदी को चिट्ठी
कोरोना महामारी को लेकर सोनिया गांधी लगातार पीएम मोदी को चिट्ठी लिख रही हैं. गुरुवार को सोनिया गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख आग्रह किया था कि उन बच्चों को नवोदय विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा देने के बारे में विचार किया जाए जिन्होंने कोरोना महामारी के कारण अपने माता-पिता या फिर इनमें से किसी एक को खो दिया है जो घर की जीविका चलाता रहा हो. उन्होंने प्रधानमंत्री पत्र लिखकर यह भी कहा कि इन बच्चों को बेहतर भविष्य की उम्मीद देना राष्ट्र के तौर पर सबकी जिम्मेदारी है.
सोनिया गांधी ने कहा था, "कोरोना महामारी की भयावह स्थिति के बीच कई बच्चों का अपने माता-पिता में से किसी एक या फिर दोनों को खोने की खबरें आ रही हैं जो तकलीफदेह हैं. ये बच्चे सदमे में हैं और इनकी सतत शिक्षा और भविष्य के लिए कोई मदद उपलब्ध नहीं है."
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