नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी 7 जुलाई से तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और बेरोजगारी के खिलाफ 10 दिवसीय राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगी. कांग्रेस ने कहा कि वह लोगों की दुर्दशा और जनता के प्रति कथित सरकारी उदासीनता को उजागर करने के लिए सात से 17 जुलाई तक देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी. पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में महासचिवों और राज्य प्रभारियों के साथ गुरुवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया.


पार्टी महासचिव-संगठन केसी वेणुगोपाल ने एक बयान में कहा, कोरोना वायरस महामारी, बड़े पैमाने पर बेरोजगारी और वेतन कटौती के कारण पहले से ही पीड़ित लोगों की दुर्दशा को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है. इन कार्यक्रमों को राज्य इकाइयों द्वारा 7 से 17 जुलाई के बीच क्रियान्वित किया जाएगा.


"पार्टी का लक्ष्य एक जन आंदोलन का निर्माण करना है"
कांग्रेस पार्टी महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस और अन्य मोर्चा इकाइयों से जुड़ी महिलाओं का देशव्यापी आंदोलन ब्लॉक स्तर पर शुरू करेगी और नेता और कार्यकर्ता जिला स्तर पर साइकिल यात्रा निकालेंगे. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी की मांग को लेकर देशभर के पेट्रोल पंपों पर हस्ताक्षर अभियान के साथ नेता और कार्यकर्ता राज्य स्तर पर जुलूस निकालेंगे.


वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी का लक्ष्य एक जन आंदोलन का निर्माण करना है, जो सत्तारूढ़ बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर तेल और गैस पर अत्यधिक उत्पाद शुल्क वापस लेने और महामारी, आर्थिक मंदी व अभूतपूर्व बेरोजगारी के समय पीड़ित उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने का दबाव बनाएगा.


डेढ़ लाख कांग्रेस कार्यकर्ता मैदान पर होंगे
अभियान के तहत 30 दिनों में लगभग 3 करोड़ घरों को कवर करना है, जो लगभग 12 करोड़ लोगों (प्रति परिवार औसतन 4 सदस्य) को छूने का काम करेगा. जिसमें 736 जिलों के 7,935 शहरों में 7199 ब्लॉक शामिल हैं. अभियान के तहत कुल 1,51,340 कांग्रेस कार्यकर्ता मैदान में होंगे.


कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार पेट्रोल पर 32.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लेती है और केंद्र सरकार ने पिछले सात सालों में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क लगाकर 22 लाख करोड़ रुपये कमाए हैं. विपक्षी पार्टी ने कहा कि खाद्य तेलों की कीमतें पिछले छह महीनों में लगभग दोगुनी हो गई हैं. दालों की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है, क्योंकि हर घरेलू सामान की कीमतों में भारी उछाल देखा गया है. पार्टी ने दावा किया कि मई 2021 में थोक मूल्य सूचकांक में 12.94 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो पिछले 11 वर्षों में सबसे अधिक है.