Raaj Ki Baat: राजनीति में कोई अंतिम सत्य नहीं होता. जो आज ताकत में हैं, वो हमेशा रहेंगे ये शास्वत नहीं. जो बिल्कुल हाशिये पर चले गए हैं, वे सत्ता में नहीं आ सकते. ऐसा भी नहीं है. मगर सियासत हो या जिंदगी उसमें जो प्रयोग और प्रयास नहीं करता, उसका थम जाना निश्चित है. बीजेपी केंद्र से लेकर राज्यों तक सत्ता में है, लेकिन उसके प्रयोग और प्रयास निरंतर जारी हैं. वहीं, देश को आजादी दिलाने का दम भरने वाली देश की सबसे पुराने राजनीतिक दल में प्रयोग और प्रयास दोनों का ही अभाव दिखता है. राज की बात कांग्रेस में अब लंबी सोच के साथ कुछ प्रयास और प्रयोगों की बात. जिसके सूत्रधार पीके यानी प्रशांत किशोर होंगे.


केंद्र सरकार और पीएम मोदी पर तो कांग्रेस खासी हमलावर है. मगर अपने ही संगठन को लेकर हैरान और परेशान भी. बीजेपी एक तरफ सीएम से लेकर पूरी कैबिनेट बदल देती है और चूं तक नहीं होती, लेकिन कांग्रेस के राज्यों के बड़े नेता ही आपस में लड़े जा रहे हैं. पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर और पार्टी अध्यक्ष बनाए गए नवजोत सिंह सिद्धू की खींचतान जगजाहिर ही है. यहां तक कि केंद्रीय नेतृत्व के सामने भी जी-23 की दीवार खड़ी है. एक तरफ बीजेपी का बढ़ता कारवां और दूसरी तरफ अंतर्कलह और दिशाहीनता से जूझती कांग्रेस. ऐसे में सवा सौ साल से पुरानी पार्टी का भविष्य क्या और उसकी क्या है भविष्य की योजना?


तो राज की बात ये है कि 'भविष्य की कांग्रेस और कांग्रेस में ही भविष्य' की योजना पर कांग्रेस ने काम करना शुरू कर दिया है. इस योजना के सूत्रधार पीके की कार्ययोजना बड़ी दिलचस्प है. इसके तहत देश के 32 राज्यों से हर क्षेत्र के युवा चिन्हित किए जा रहे हैं. राजनीति में जिनकी दिलचस्पी है, उनकी तो है ही, अन्य क्षेत्रों में सक्रिय युवाओं को भी कांग्रेस से जोड़ने का महाअभियान चलाया जाएगा. इसके तहत हर राज्य से 100 युवा लाए जाएंगे जो भविष्य के भारत और युवाओं की कांग्रेस खड़ी करने का प्रयास करेंगे. वैसे ये काम पहले राहुल गांधी भी कर चुके हैं, लेकिन इस स्तर पर जो वाकई अपने क्षेत्रों में चर्चा में हों और मीडिया भी उनमें दिलचस्पी लेता हो, ऐसे युवाओं को लाकर देश की सबसे पुरानी पार्टी को युवा लुक देने की कोशिश की जाएगी.


चयन की प्रक्रिया न सिर्फ पारदर्शी होगी, बल्कि वाकई आंदोलन या संघर्ष से निकले ऐसे चेहरों को तरजीह दी जाएगी जो बीजेपी और मोदी की सियासी फौज को जमीन से लेकर साइबर संसार तक टक्कर दे सकें. मसलन हार्दिक पटेल पहले ही कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं. इसी कड़ी में जेएनयू से चर्चित कन्हैया कुमार को बिहार में जिम्मेदारी दिए जाने की बात है. राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक माडल तैयार किया जा रहा है. वैसे ये देखना दिलचस्प होगा कि पीके का ये प्लान कांग्रेस परवान चढ़ा पाती है या नहीं, क्योंकि इस पार्टी की दिक्कत ये है कि यहां योजनाओं को अमल में लाने से ज्यादा रोकने वालों की सेना खड़ी रहती है.


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