नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज किसानों के मुद्दे का हल खोजने के लिए चार सदस्यों की एक कमेटी का गठन करने का आदेश दिया है, लेकिन कांग्रेस ने कमेटी में शामिल सदस्यों पर सवाल उठा दिए हैं. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि कमेटी में शामिल चार लोगों ने सार्वजनिक तौर पर पहले से ही निर्णय कर रखा है कि ये काले क़ानून सही हैं और कह दिया है कि किसान भटके हुए हैं. उन्होंने सवाल किया कि ऐसी कमेटी किसानों के साथ न्याय कैसे करेगी?
सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने आदेश में कृषि कानूनों के अमल पर फिलहाल रोक लगा दी और बातचीत के लिए चार सदस्यों की एक कमेटी का गठन कर दिया. हालांकि अब कमेटी के चारों सदस्यों पर किसान कानून का समर्थक होने का आरोप लगाया जा रहा है. कांग्रेस ने भी इन सदस्यों को लेकर सवाल उठा दिए हैं. रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘‘जब समिति के चारों सदस्य पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेत-खलिहान को बेचने की उनकी साजिश के साथ खड़े हैं, तो फिर ऐसी कमेटी किसानों के साथ कैसे न्याय करेगी?’’
सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जब सरकार को फटकार लगाई तो उम्मीद पैदा हुई कि किसानों के साथ न्याय होगा, लेकिन इस समिति को देखकर ऐसी कोई उम्मीद नहीं जगती. उन्होंने ये भी कहा, ‘‘हमें नहीं मालूम कि सुप्रीम कोर्ट को इन लोगों के बारे में पहले बताया गया था या नहीं? वैसे, किसान इन कानूनों को लेकर उच्चतम न्यायालय नहीं गए थे. इनमें से एक सदस्य भूपिन्दर सिंह इन कानूनों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट गए थे. फिर मामला दायर करने वाला ही समिति में कैसे हो सकता है? इन चारों व्यक्तियों की पृष्ठभूमि की जांच क्यों नहीं की गई?
कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘ये चारों लोग काले कानूनों के पक्षधर हैं. इनकी मौजूदगी वाली समिति से किसानों को न्याय नहीं मिल सकता. इस पर अब पूरे देश को मंथन करने की जरूरत है.’’
क्या बोले किसान?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का कुछ किसान नेताओं ने स्वागत किया है, तो कुछ ने निराशा जताई है. किसान नेताओं का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं लिए जाते, तब तक वे अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे. करीब 40 आंदोलनकारी किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले कदम पर विचार करने के लिए आज एक बैठक बुलाई है.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाए जाने की सिफारिश की थी. देश का किसान इस फैसले से निराश हैं. किसान नेताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त किसी भी समिति के समक्ष वे किसी भी कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेना चाहते हैं लेकिन इस बारे में औपचारिक निर्णय मोर्चा लेगा.
कमेटी में हैं ये चार लोग
सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी के सदस्य के तौर पर चार लोगों को शामिल किया है. यह लोग हैं भारतीय किसान यूनियन नेता भूपिंदर सिंह मान, महाराष्ट्र के शेतकरी संगठन के नेता अनिल घनवटे, कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी और खाद्य नीति विशेषज्ञ प्रमोद जोशी.
कोर्ट ने कहा है कि जो लोग भी इस कमेटी के सामने जाकर अपनी बात करना चाहते हैं, वह ऐसा कर सकते हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि कृषि कानूनों पर उसकी रोक अस्थाई है. इसे स्थाई नहीं माना जाना चाहिए. इसके पीछे मकसद यही है कि धरातल पर सचमुच कोई प्रगति होती हुई दिखाई पड़े.
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