Minisiters With Influencers: सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के साथ मंत्रियों का इंटरव्यू, कांग्रेस बोली- चरणचुंबकों की नई फौज ढूढ़ी जा रही
Minsiters With Influencers: कांग्रेस ने मोदी सरकार से सवाल पूछा है कि क्या मंत्रियों के सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के साथ इंटरव्यू के पीछे जनता का पैसा लग रहा है.
Congress On Modi Government: केंद्र की मोदी सरकार के मंत्रियों ने हाल ही में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर को इंटरव्यू दिए हैं. इसे लेकर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinate) ने कहा, साहेब का टीवी से मोहभंग हो गया है और अब इन्हें छोड़ यट्यूब (𝐘𝐨𝐮𝐓𝐮𝐛𝐞) वालों की ओर रुख कर लिया है. इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया है कि क्या इन इंटरव्यू के लिए जनता का पैसे का इस्तेमाल किया जा रहा है.
सुप्रिया श्रीनेत ने ट्वीट कर लिखा, क्या यूट्यूब पर मंत्री जी लोगों के निजी चाय चुटकुलों और भाजपा के प्रचार के लिए हमारा और आपका पैसा बहाया जा रहा है? जी हां, कुछ ऐसा ही होता लग रहा है.
उन्होंने आगे लिखा, आज कल कुछ बड़े, यूट्यूब चैनल वाले मॉय गवर्नमेंट के साथ पार्टनरशिप में सरकार के मंत्रियों के इंटरव्यू कर रहे हैं. कुछ ही दिनों पहले सरकार ने एक टेंडर निकाला था जिसमें MyGov के साथ सोशल और डिजिटल मीडिया के प्रभावशाली नामों को जोड़ने के लिए एक एजेंसी नियुक्त करने का प्रस्ताव था. इसीलिए कुछ सवाल और स्पष्टीकरण चाहिए. इसके साथ ही श्रीनेत ने सवालों की एक लिस्ट दी है, जो इस तरह से है.
कांग्रेस के सवाल
- क्या कोई ऐसी एजेंसी नियुक्त हुई?
- इस एजेंसी को क्यों नियुक्त किया गया है?
- इस एजेंसी को कितना पैसा दिया जाएगा?
- क्या YouTubers को पैसा देकर यह इंटरव्यू कराये जा रहे हैं?
- क्या YouTubers को पैसा इस एजेंसी के माध्यम से दिया जाएगा?
- मंत्रियों के इंटरव्यू के नाम पर भाजपा का प्रोपेगंडा क्यों किया जा रहा है?
- भाजपाई प्रोपेगंडा के लिए जनता का पैसा क्यों खर्चा हो?
- क्या मौजूदा खुलासों के मद्देनज़र दर्शकों को बताया जा रहा है कि इस यह बातचीत प्रेस इंटरव्यू नहीं, बल्कि पैसे लेकर प्रचार है?
यूट्यूब पर चरणचुंबकों की फौज ढूढ़ी जा रही- श्रीनेत
कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड ने सवालों के साथ ही मीडिया और खासकर न्यूज चैनलों पर निशाना साधा. उन्होंने लिखा, असल में नोएडा के कमांडो वारियर एंकरों का परेशान होना स्वाभाविक है. बेचारे इतनी मेहनत करते हैं, इतना चरणवंदन, अपना ज़मीर और इज़्ज़त दोनों बेच कर मोदी जी की ढाल बने रहते हैं, मजाल है जो एक सवाल पूछ लें, प्रवक्ताओं से ज़्यादा सरकार और साहेब के बचाव में कूद पड़ते हैं - पर इस चापलूसी के चलते इनकी कोई विश्वसनीयता नहीं है और लोगों की आंखें खुल चुकी हैं. अब टीवी की जगह यूट्यूब पर पर चरणचुंबकों की एक नयी फ़ौज ढूंढ़ी जा रही है. लेकिन विफलताओं की लिस्ट इतनी लंबी है कि न टीवी वाले बचा पाये और अब ना यूट्यूब वाले पार लगा पायेंगे. सुर्ख़ियां बटोरने से नहीं, बल्कि समझदारी और सूझबूझ से चलती हैं सरकारें.
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