कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू के बहाने पीएम मोदी को घेरा, नियंत्रण रेखा का जिक्र करते हुए कपिल सिब्बल ने कही ये बात
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि गलवान घाटी में चीन की घुसपैठ के बावजूद पीएम मोदी ने सर्वदलीय बैठक में इससे इनकार कर दिया.
नई दिल्ली: लद्दाख में नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन के बीच जारी तनाव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लद्दाख दौरे के एक दिन बाद कांग्रेस ने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का हवाला देकर पीएम मोदी पर निशाना साधा. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी गलवान घाटी में चीनी सेना के घुसपैठ को नकारते हैं जबकि जवाहरलाल नेहरू ने तब चीन द्वारा प्रस्तावित नियंत्रण रेखा को स्वीकार करने से मना कर दिया था.
कांग्रेस ने कहा है कि 1959 में चीन ने भारत को जो नियंत्रण रेखा स्वीकार करने को कहा था उसमें भी गलवान घाटी भारत का हिस्सा थी लेकिन अब चीन उसपर भी अपना दावा पेश कर रहा है.
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, वास्तविक नियंत्रण रेखा या एलएसी, चीनी प्रधानमंत्री झोउ एनलाई द्वारा 1956 में गढ़ा गया था और फिर 1959 में और 1962 के युद्ध के दौरान और इसके बाद दोहराया गया. भारत पर चीन के आक्रमण के बाद, झोउ एनलाई ने नेहरू को एक पत्र भेजा जिसमें भारत को 1959 की चीनी दावा लाइन को स्वीकार करने के लिए कहा और कहा कि चीन इस दावे की रेखा से 20 किलोमीटर पीछे हटने को तैयार है.
सिब्बल के मुताबिक, इसके जवाब में नेहरू के 4 नवंबर के पत्र में कहा गया कि झोउ का प्रस्ताव विजेता के फरमान की तरह है. नेहरू ने कहा "वास्तविक नियंत्रण रेखा को बीस किलोमीटर दूर करने के लिए चीनी प्रस्ताव में कोई अर्थ या अर्थ नहीं है." नेहरू ने कहा कि जो भी परिस्थिति आए, संघर्ष कितना भी लंबा और कठिन क्यों ना हो, भारत चीन के दावे को स्वीकार नहीं करेगा.
सिब्बल ने कहा कि चीन की 1959 की रेखा ने स्पष्ट रूप से भारत में पूरी गलवान घाटी को दर्शाया था. जबकि 16 जून, 2020 (घातक संघर्ष के एक दिन बाद) को चीन ने औपचारिक रूप से पहली बार "संपूर्ण गलवान घाटी" के लिए दावा किया.
सिब्बल ने आरोप लगाया कि गलवान घाटी में चीनी घुसपैठ के बावजूद सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी घुसपैठ को नकार दिया. सिब्बल ने यह सवाल भी पूछा कि प्रधानमंत्री मोदी ने लद्दाख में सैनिकों को संबोधित करते हुए चीन का नाम क्यों नहीं लिया?
प्रधानमंत्री मोदी के लद्दाख दौरे के लोकेशन को लेकर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री अग्रिम मोर्चे पर जाने की बजाए नियंत्रण रेखा से 230 किलोमीटर दूर लेह के नीमू गए जबकि पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी ने अग्रिम मोर्चों पर जाकर सैनिकों का मनोबल बढ़ाया था .
ब्रिटेन के अखबार गार्जियन में छपी पैंगोंग झील इलाके की सैटेलाइट से ली गई तस्वीर को जारी करते हुए कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने प्रधानमंत्री मोदी से लद्दाख में पैंगोंग झील के इलाके, डेपसांग और गलवान घाटी में चीनी फौज के घुसपैठ की वास्तविकता बताने की मांग दुहराई है.
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