नई दिल्ली: संसद से पास कृषि बिलों के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने पचास दिनों के देशव्यापी आंदोलन का एलान करते हुए कहा कि इन बिलों के खिलाफ वह देशभर से दो करोड़ किसानों के हस्ताक्षर करवाएगी. कांग्रेस दफ्तर में सोनिया गांधी की सलाहकार समिति के साथ पार्टी महासचिवों और प्रभारियों की बैठक में यह फैसला लिया गया कि इसी हफ्ते हर राज्य में कांग्रेस के बड़े नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और पदयात्रा निकालेंगे. 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन को कांग्रेस 'किसान-मजदूर बचाओ दिवस' के रूप में मनाएगी, जिसके तहत हर जिले में कांग्रेस कार्यकर्ता धरना देंगे.


सोनिया गांधी के निर्देश पर हुई इस बैठक के बाद आंदोलन की रूपरेखा बताते हुए संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि सबसे पहले 24 सितंबर तक हर राज्य में प्रेस कॉन्फ्रेंस किए जाएंगे. इसके बाद 28 सितम्बर तक हर राज्य में नेता राजभवन तक पदयात्रा निकालते हुए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन राज्यपाल को सौंपेंगे. 2 अक्टूबर को हर जिले में धरना प्रदर्शन होगा और 10 अक्टूबर को हर राज्य में किसान सम्मेलन किया जाएगा.


कांग्रेस कार्यकर्ता 31 अक्टूबर तक गांव गांव जाकर हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे. पार्टी ने 2 करोड़ हस्ताक्षर जुटाने का लक्ष्य रखा है, जिन्हें 14 नवम्बर को राष्ट्रपति को सौंपने की रणनीति बनाई गई है.


रविवार को राज्यसभा के घटनाक्रम को लेकर अहमद पटेल ने कहा कि सदन में सरकार तनाशाही की तरफ का रही है. इन्होंने लोकतांत्रिक व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दी. उन्होंने कहा कि कृषि बिल ना राज्य सरकार, ना ही केंद्र सरकार और ना ही किसानों के हित में हैं. हमने इसके खिलाफ संसद में आवाज उठाई अब हम इस मुद्दे पर जनता के बीच जाना चाहते हैं क्योंकि इस कानून से उन्हें काफी नुकसान होगा.


आपको बता दें कि पंजाब और हरियाणा में किसान इन बिलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इन राज्यों में कांग्रेस ने पहले ही मोर्चा खोला हुआ है. सोमवार को दिल्ली कांग्रेस ने संसद के पास प्रदर्शन किया तो मंगलवार को यूथ कांग्रेस भी प्रदर्शन करेगी. कांग्रेस का आरोप है कि इन बिलों के जरिए मोदी सरकार किसानों को कॉरपोरेट के चंगुल में फंसा रही है. इससे मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा.


प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि विपक्ष पर गुमराह करने का आरोप लगा कर दरअसल प्रधानमंत्री देश को गुमराह कर रहे हैं. वहीं महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को रबी और खरीफ फसलों का अंतर नहीं मालूम.


इलाज के लिए विदेश में होने की वजह से सोनिया गांधी और राहुल गांधी बैठक में मौजूद नहीं रहे. प्रियंका गांधी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक से जुड़ीं. सूत्रों ने बताया कि अगले दो-तीन दिनों में देश लौटते ही राहुल गांधी इस मुहिम से जुड़ेंगे. राहुल गांधी ट्विट कर कृषि बिलों को काला कानून बता चुके हैं.


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