नई दिल्ली: टूलकिट केस में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता रमन सिंह और संबित पात्रा के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर रोक लगा दी है. कोरोना काल में कांग्रेस के कथित टूलकिट का मामला संबित पात्रा ने उठाया था. इसके विरोध में कांग्रेस ने पुलिस में शिकायत दी थी.


अधिवक्ता विवेक शर्मा ने बताया कि टूलकिट मामले को लेकर रमन सिंह और संबित पात्रा ने अपने खिलाफ राजधानी रायपुर के सिविल लाइंस थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं. 


उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है. याचिकाकर्ताओं की ओर से प्राथमिकी को पूर्वाग्रह और राजनीति से प्रेरित बताते हुए अंतरिम राहत की मांग की गई थी.


अधिवक्ता ने बताया कि शुक्रवार को हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य शासन को तीन हफ़्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था और अंतरिम राहत के मसले पर निर्णय सुरक्षित कर लिया था.


शर्मा ने बताया कि सोमवार को उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार व्यास ने टूलकिट मामले में सिंह और पात्रा को अंतरिम राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और आगे की जांच-पड़ताल पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है.


19 मई को कांग्रेस की छात्र इकाई NSUI ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ रायपुर में एफआईआर दर्ज कराई थी. इस मामले में रायपुर पुलिस ने रमन सिंह से पूछताछ की थी. संबित पात्रा को भी समन जारी किया था.


पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 469 (प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जालसाजी), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना), 505 (1) (बी) (भय पैदा करने के इरादे से अफवाह फैलाना) के तहत मामला दर्ज किया था. कांग्रेस ने एआईसीसी अनुसंधान विभाग का ‘फर्जी’ लेटरहेड बनाने और ‘झूठी एवं मनगढंत’ सामग्री छापने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई थी.


वहीं बीजेपी का कहना था कि टूलकिट के जरिए कांग्रेस के नेताओं ने पीएम मोदी और देश की छवि खराब करने की कोशिश की.


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