नई दिल्ली: संसद की स्थायी समिति के पुनर्गठन को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने पुनर्गठन में देरी को लेकर सवाल उठाने के साथ ही बीजेपी और सरकार पर हमला बोला है.
पुनर्गठन पर सवाल खड़ा करते हुए कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने एक ट्वीट किया. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि, "संसद की स्थायी समितियों का वार्षिक कार्यकाल 13 सितम्बर को ख़त्म हुआ लेकिन नई समितियों का अभी तक ऐलान नहीं हुआ है. आखिर इस देरी की वजह क्या है?"
जयराम रमेश के इस सवाल पर जवाब देते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने न सिर्फ़ सवाल खड़ा किया बल्कि बीजेपी पर चुटकी भी ली. डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट में लिखा- "मुझे जानकारी मिली है कि सभी राजनीतिक दलों ने इन कमिटियों के लिए अपने-अपने सदस्यों के नाम दे दिए हैं लेकिन केवल एक बड़ी पार्टी ने नहीं दिया है. अनुमान लगाने का कोई इनाम नहीं है" ज़ाहिर है डेरेक ओ ब्रायन का निशाना बीजेपी पर है और उनके मुताबिक़ इसी के चलते कमिटियों का पुनर्गठन नहीं हो पाया है.
समितियों का एक साल का होता है कार्यकाल
संसद की कुल 24 स्थायी समितियां होती हैं जिनका कार्यकाल एक साल का होता है. एक साल के बाद इन कमिटियों का फिर से गठन किया जाता है. इनमें से 8 कमिटियों के अध्यक्ष राज्यसभा के सांसद होते हैं जबकि बाक़ी बचे 16 कमिटियों के अध्यक्ष लोकसभा के सदस्य होते हैं. सभी स्थायी समितियां किसी न किसी मंत्रालय से सम्बंधित होती हैं और अपने सम्बंधित मंत्रालयों के विषयों की समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करती हैं. इन समितियों में अध्यक्ष को मिलाकर 31 सदस्य होते हैं जिनमें अध्यक्ष को छोड़कर 20 सदस्य लोकसभा से और 10 सदस्य राज्यसभा के सांसद होते हैं.
पिछले महीने की 13 तारीख़ को इन कमिटियों का वार्षिक कार्यकाल ख़त्म हो गया और नई कमिटियों के गठन का इंतज़ार हो रहा है. वैसे माना जा रहा है कि अगले एक हफ़्ते के भीतर इन समितियों का पुनर्गठन कर दिया जाएगा.
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