Meghalaya Politics: कीर्ति आजाद और अशोक तंवर के टीएमसी में शामिल होने के अगले दिन मेघालय में हुआ ऑपरेशन कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस की लगातार टेंशन बढ़ा रही हैं.  ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि ममता की सेंधमारी की वजह क्या कांग्रेस का कमजोर नेतृत्व है? आखिर कौन सी वजह है जो पुराने कांग्रेसी हाथ का साथ छोड़ रहे हैं? 



हाल ही में सुष्मिता देव और लुईजिनो फलेरो को टीएमसी में शामिल कराने के बाद कांग्रेस के 3 बड़े नेताओं को तोड़कर पार्टी में लाया गया.  बिहार से कीर्ति आज़ाद और हरियाणा से कांग्रेस के मज़बूत नेता अशोक तंवर को टीएमसी में शामिल कराया गया. फिर देर रात मेघालय में पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा समेत 17 में से  12 विधायकों को टीएमसी ने अपने पाले में ले लिया.  कांग्रेस को जब तक भनक लगी और राज्य प्रभारी मनीष चतरथ को मेघालय भेजा, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. 


पार्टी नेतृत्व की कमजोरी पर बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) से सवाल पूछा गया तो उन्होंने ममता बनर्जी पर ही खरीद फरोख्त का आरोप लगा दिया.  मेघालय में कांग्रेस छोड़ चुके विधायकों को चुनौती दी कि हिम्मत हो तो कांग्रेस का सिंबल छोड़कर टीएमसी के सिंबल पर चुनाव लड़कर दिखाएं.


‘कांग्रेस में नहीं मिल रही तरजीह तो छोड़ रहे पार्टी’
टीएमसी का दामन थामने वाले हरियाणा कांग्रेस के मजबूत नेता अशोक तंवर ने कहा कि ममता कांग्रेस के खिलाफ साजिश नहीं रच रहीं.  कांग्रेस में जमीनी नेताओं को तरजीह देने की जगह मारा जा रहा है. ऐसे में नेता खुद पार्टी छोड़ रहे हैं. तंवर ने कहा कि कांग्रेस को भी ममता का साथ देना चाहिए. कांग्रेस अब बीजेपी से नहीं लड़ पा रही है. ऐसे में उसे बीजेपी से लड़ने वाली पार्टी का सहयोग करना चाहिए. 


‘कांग्रेस के बगैर बीजेपी का नहीं बन सकते विकल्प’
जानकारों का कहना है कि ममता अपने सलाहकार के इशारों पर ही कांग्रेस नेताओं को पार्टी जॉइन करा रही हैं.  इसका फायदा उन्हें अभी होगा यह कहा नहीं जा सकता.  कांग्रेस के बगैर कोई भी विपक्ष को राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी का विकल्प नहीं बन सकता. जैसे 5 राज्यों में चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं को ममता टीएमसी जॉइन करा रही हैं, वैसे ही बंगाल में चुनाव से पहले टीएमसी नेता बीजेपी में शामिल हुए थे. 


घर बचाना ही नहीं, संसद का सत्र भी है कांग्रेस की चुनौती
कांग्रेस की चुनौती अब बस टूटता अपना घर ही नहीं, बल्कि सामने आ रहा संसद सत्र भी है.  खतरा इस बात का है कि टीएमसी के तेवर देख कर लग रहा कि संसद सत्र के दौरान टीएमसी खुद को मुख्य विपक्षी के तौर पर पेश करने की कोशिश कर सकती है. आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी जैसे दल भी मुद्दों के आधार पर टीएमसी के पाले में दिख सकते हैं.  शायद यही वजह है कि कांग्रेस ने अब ममता पर हमले शुरू कर दिए हैं.  एक दिन पहले ही कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणु गोपाल ने बयान दिया कि कांग्रेस को तोड़ने की साजिश से ममता को कुछ हासिल नहीं होगा और अन्त में ये सब नाटक काम नहीं आएगा.  वेणुगोपाल ने कहा कि संसद सत्र के दौरान कांग्रेस की कोशिश होगी कि सभी विपक्षी दलों को साथ रखा जा सके. 


‘भतीजे को बचाने के लिए बीजेपी से कर रहीं साठगांठ’
इस बीच कांग्रेस ने ममता पर अपने भतीजे और बाकी नेताओं को ईडी और सीबीआई से बचाने की वजह से बीजेपी से साठगांठ करने का आरोप लगाया.  टीएमसी का दामन थामने वाले अशोक तंवर ने इस पर पलटवार किया.  तंवर ने कहा कि अधीर रंजन चौधरी को मैं बताऊंगा कि कांग्रेस कहां किससे साठगांठ कर रही.  राजस्थान में गहलोत की सरकार कैसे वसुंधरा राजे की वजह से चल रही.  उड़ीसा में क्या साठगांठ चल रहा और हरियाणा में पिछली बार कांग्रेस की सरकार किसकी वजह से बनी थी. 


ममता ने विपक्षी एकता पर की थी सोनिया से मुलाकात
ममता बनर्जी पिछली दफा अगस्त में दिल्ली आईं थीं तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी.  इस दौरान विपक्षी एकता के साथ मोदी सरकार को चुनौती देने की रणनीति पर चर्चा हुई थी.  अब जिस तरह ममता ने कांग्रेस में सेंध लगाई है, उसके बाद देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कांग्रेस ममता और उनके सलाहकार प्रशांत किशोर की इस रणनीति का क्या काट ढूंढती हैं.


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