Rajathan Congress Crisis: राजस्थान कांग्रेस में चल रही सियासत कम होने का नाम नहीं ले रही है. हालांकि, कांग्रेस ने कर्नाटक राज्य चुनाव अभियान में अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए, राजस्थान संकट को हल करने के लिए होने वाली बैठक में थोड़ा और समय लगने की संभावना जताई है. नाम न छापने की शर्त पर कांग्रेस के एक नेता ने कहा, कांग्रेस को पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के विरोध को दबाना है. कर्नाटक चुनाव के बाद ही राजस्थान संकट कम होने की संभावना है.
उन्होंने कहा कि फिलहाल इस बीच पायलट के खेमे के साथ बातचीत चल रही है लेकिन विपक्षी दलों की बैठक कर्नाटक चुनाव से पहले होने की संभावना नहीं है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस वक्त अपने राज्य में चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. कर्नाटक में 10 मई को मतदान होगा और नतीजे 13 मई को आएंगे. इसके बाद ही राजस्थान की राजनीति पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
गहलोत के खिलाफ मुखर रहे पायलट
पायलट गहलोत के खिलाफ मुखर रहे हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ उपवास पर बैठे, एक ऐसा कदम जिसे पार्टी मुख्यालय से समर्थन नहीं मिला. कांग्रेस ने उनके विरोध को पार्टी विरोधी गतिविधि करार दिया. पायलट ने यह कहकर अपने फैसले को सही ठहराया कि यह पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ था. फिलहाल कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस मुद्दे को सुलझाने का काम सौंपा है.
अपने अनशन के दौरान पायलट ने दावा किया कि राजे सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है और याद दिलाया कि एक विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस ने एक कथित खनन घोटाले की जांच का वादा किया था. उन्होंने कहा कि जांच की कमी गहलोत और भारतीय जनता पार्टी के बीच मिलीभगत का भ्रम पैदा कर सकती है.
'जल्दबाजी में नहीं होगा कोई फैसला'
इस बीच एक और कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पार्टी जल्दबाजी में राजस्थान पर कोई फैसला नहीं करेगी. पार्टी का पूरा ध्यान कर्नाटक चुनाव पर है, जो बहुत महत्वपूर्ण है. दक्षिण भारत में कांग्रेस की सरकार नहीं है और पार्टी यहां चुनाव जीतने की उम्मीद कर रही है. ऐसे में कांग्रेस नेताओं ने संकेत दिया कि कर्नाटक चुनाव खत्म होने से पहले विपक्षी दलों के नेताओं की प्रस्तावित बैठक होने की संभावना नहीं है.
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