Siddaramaiah Shoes Case: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बुधवार (2 अक्टूबर 2024) को उस समय आलोचनाओं के घेरे में आ गए, जब उनका एक वीडियो वायरल हो गया. वीडियो में गांधी जयंती पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे सिद्धारमैया के एक कांग्रेस कार्यकर्ता हाथ में तिरंगा झंडा लेकर जूते उतारता हुआ दिखाई दिया. इस पर भाजपा ने तीखी आलोचना की और कांग्रेस नेता पर 'देश के गौरव का अपमान' करने का आरोप लगाया. इस घटना के दौरान एक पुलिस अधिकारी ने कांग्रेस कार्यकर्ता के हाथ से तिरंगा हटा लिया.
घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सिद्धारमैया को 'भ्रष्टाचार का पोस्टर बॉय' करार दिया और उन पर राष्ट्रीय ध्वज और महात्मा गांधी के सिद्धांतों का अपमान करने का आरोप लगाया. पूनावाला ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि सिद्धारमैया ने इस्तीफा देने के बजाय अपने कार्यकर्ताओं से भारत के राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक तिरंगे को हाथ में लेकर उनके जूतों के फीते बंधवाए.
राहुल गांधी की राह पर चल रहे कांग्रेसी
उन्होंने कांग्रेस द्वारा महात्मा गांधी के मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाते हुए लिखा, 'गांधी जयंती के अवसर पर इसका मतलब तिरंगे और बापू के सिद्धांतों का अपमान है.' उन्होंने कहा, 'अब यह राहुल गांधी के सिद्धांतों का अनुसरण करता है, जिसका अर्थ है अहंकार, भ्रष्टाचार और परिवारवाद.'
सिद्धारमैया कार्यकर्ताओं से जूते बंधवाते हैं- पूनावाला
पूनावाला ने सिद्धारमैया पर जांच में बाधा डालने और लोकतांत्रिक संस्थाओं का अनादर करने का आरोप लगाया. MUDA भूमि हड़पने के मामले में हाल ही में अदालती आदेशों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उचित जांच के लिए मुख्यमंत्री को पद छोड़ देना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय उन्होंने विरोध करना चुना. पूनावाला ने कहा, 'वह इस्तीफा नहीं देते, वह अपने कार्यकर्ताओं से अपने जूते बंधवाते हैं, कभी मीडिया को धक्का देते हैं और कभी सीबीआई को रोकते हैं.'
भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे हैं मुख्यमंत्री
दरअसल, मौजूदा समय में सिद्धारमैया एक कार्यकर्ता की शिकायत के बाद लोकायुक्त और प्रवर्तन निदेशालय की जांच के घेरे में हैं. आरोप है कि मुख्यमंत्री की पत्नी को मैसूर की बेशकीमती जमीन पास के गांव में जमीन के मुआवजे के तौर पर आवंटित की गई, जिससे कथित तौर पर राज्य को 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
यह भी पढ़ेंः UN की नौकरी छोड़ क्यों इंडियन पॉलिटिक्स के दलदल में चले आए PK? ऐसी है चुनावी चाणक्य की कहानी