नई दिल्ली: कोरोना संकट से लड़ने में केंद्र सरकार को नाकाम बताते हुए कांग्रेस ने सरकार से पूछा है कि 3 मई के बाद यानी लॉकडाउन के बाद का 'एग्जिट प्लान' क्या है? कांग्रेस ने सरकार से प्रवासी मजदूरों की घर जाने में मदद करने और गरीबों के खाते में साढ़े सात हजार रुपए देने की मांग के साथ ही राज्य सरकारों को पर्याप्त वित्तीय सहायता देने की मांग केंद्र सरकार से की है. इसको लेकर गुरुवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की डिजिटल बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया. बैठक में सोनिया गांधी ने बीजेपी पर नफरत का वायरस फैलाने का आरोप लगाया. कोरोना को लेकर एक महीने के भीतर सीडब्ल्यूसी की ये दूसरी डिजिटल बैठक थी.
सीडब्ल्यूसी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि एकजुट होकर कोरोना से लड़ने की बजाय बीजेपी नफरत का वायरस फैला रही है. सोनिया गांधी का इशारा पालघर हिंसा के बाद बीजेपी नेताओं के बयानों को लेकर था.
सोनिया गांधी ने कहा कि अब भी टेस्टिंग की संख्या कम है. इसके अलावा जरूरत के मुताबिक टेस्टिंग किट और पीपीई किट उपलब्ध नहीं हैं. जो उपलब्ध हैं उनकी क्वालिटी अच्छी नहीं है. वहीं राहुल गांधी ने लॉकडाउन को एक 'पॉज बटन' बताते हुए कहा कि अब हॉटस्पॉट वाले इलाकों में लॉकडाउन और सुरक्षित इलाकों को खोलने के बारे में सोचना होगा. राहुल ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की समस्या का समाधान सबसे पहले ढूंढना होगा.
कांग्रेस वर्किंग कमिटी में पारित प्रस्ताव में केंद्र सरकार से कहा गया कि लॉकडाउन के बचे हुए वक्त में भविष्य का रोडमैप बनाए और लोगों को बताए कि लॉकडाउन के बाद का एक्जिट प्लान क्या है? कांग्रेस ने सरकार को सहयोग का भरोसा देते हुए कहा कि सरकार स्वास्थ्य के ढांचे की क्षमता बढ़ाए और अर्थव्यवस्था पर फोकस करे.
कांग्रेस ने कोरोना के रोकथाम और इलाज, लोगों के आजीविका का साधन, आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता, आर्थिक पुनरोद्धार जैसे चार बिंदुओं पर सरकार को सुझाव दिया है. इसके साथ ही कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि एक महीने पहले प्रधानमंत्री द्वारा घोषित इकॉनॉमिक टास्क फोर्स ने अभी तक सरकार को कोई कार्ययोजना तक पेश नहीं की है.
कांग्रेस ने मांग की है कि जो प्रवासी मजदूर अपने घर लौटना चाहते हैं उनके लिए सरकार नीति बना कर एहतियात के साथ घर जाने का इंतजाम करे और जिनकी मौत हुई है उन्हें मुआवजा दे. साथ ही विदेश में फंसे लोगों की वापसी की व्यवस्था भी सरकार करे. कृषि ऋण को ब्याज मुफ्त करने और माइक्रो, स्मॉल एवं मीडियम स्केल उद्योग को लेकर ठोस रणनीति बनाने की मांग भी सरकार से की गई है.
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