Congress on Madhabi Puri Buch: हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद से कांग्रेस के निशाने पर सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच आ गई हैं. कांग्रेस की ओर से लगातार सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) पर नए-नए आरोप लगाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मंगलवार (10 सितंबर) को आरोप लगाया कि (सेबी) की प्रमुख माधवी पुरी बुच ने ‘अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड’ माध्यम से महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों से 2.95 करोड़ रुपये लिए हैं.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी अध्यक्ष पर अपना हमला तेज करते हुए कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि माधबी पुरी बुच ने बाजार नियामक की पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद अपनी परामर्श फर्म अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों से 2.95 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं.
सेबी में शामिल होने के बाद अगोरा कंपनी हुई निष्क्रिय
एक प्रेस कांफ्रेंस सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दावा किया कि माधबी बुच के इस दावे के विपरीत कि सेबी में शामिल होने के बाद अगोरा निष्क्रिय हो गई, कंसल्टेंसी फर्म ने सेवाएं प्रदान करना जारी रखा और 2016-2024 के बीच 2.95 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया है.
'कंपनी की हिस्सेदारी के बारे में झूठ बोलते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई माधबी बुच'
खेड़ा ने कहा कि 31 मार्च 2024 तक माधबी बुच के पास कंपनी (अगोरा) में 99% हिस्सेदारी है. वह कंपनी की हिस्सेदारी के बारे में झूठ बोलते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई हैं. यह जानबूझकर जानकारी छिपाने का मामला है. महिंद्रा एंड महिंद्रा के अलावा, जिन अन्य कंपनियों ने अगोरा से परामर्श सेवाएं लीं उनमें डॉ रेड्डीज, पिडलाइट, आईसीआईसीआई, सेम्बकॉर्प और विसु लीजिंग एंड फाइनेंस शामिल हैं. कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि अगोरा को कुल 2.95 करोड़ रुपये में से 2.59 करोड़ रुपये या कुल आय का 88% अकेले महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह से आया है.
इससे पहले भी कांग्रेस ने सेबी प्रमुख पर लगाए थे आरोप
पिछले महीने कांग्रेस ने सेबी प्रमुख पर आईसीआईसीआई बैंक में लाभ का पद संभालने और 2017 से 2024 के बीच 16.80 करोड़ रुपये की आय प्राप्त करने का आरोप लगाया था. आईसीआईसीआई बैंक ने एक बयान में बुच को कोई वेतन देने से इनकार किया है.
जानिए मामला कब शुरु हुआ?
सेबी चीफ बुच के लिए मुश्किल तब शुरू हुई है जब अगस्त में अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने उन पर और उनके पति पर आरोप लगाए. रिसर्च कंपनी का आरोप है कि उन्होंने उस विदेशी फंड में निवेश किया था, जिसका इस्तेमाल अदानी ग्रुप ने किया था. इस वजह से सेबी अडाणी के खिलाफ खातों की धोखाधड़ी और बाज़ार के हेर-फेर के आरोपों की जांच से हाथ पीछे खींच रहा है.
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