Corona Vaccination: भारत बायोटेक की वैक्सीन लेने वाले शख्स से भरवाया जा रहा कंसेंट फॉर्म, जानिए क्या लिखा है इसमें
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि पहला फॉर्म वैक्सीन लेने वाले को पढ़कर समझाया जाता है और समझने के बाद दूसरे फॉर्म से उससे सहमति ली जाती है. इसके बाद उसे वैक्सीन दी जाती है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खात्मे के लिए देश में कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है. देश में दो कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी जा चुकी है. देश में दो कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन और कोविशील्ड को इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मिली है. हालांकि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन लेने से पहले कंसेंट फॉर्म भरवाया जा रहा है लेकिन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड के लिए कोई भी कंसेंट फॉर्म नहीं भरना पड़ रहा है. ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि आखिर ये कंसेंट फॉर्म क्या होता है और क्यों भरवाया जा रहा है.
भारत में 16 जनवरी से देशभर में कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत हो गई है. वहीं सबसे पहले एक करोड़ हेल्थकेयर वर्कर को कोरोना की वैक्सीन दी जा रही है. इसमें प्राइवेट और सरकारी अस्पताल दोनों के स्वास्थ्यकर्मी शामिल है. वहीं जिन लोगों को भारत बायोटेक की वैक्सीन दी जा रही है उनसे कंसेंट फॉर्म भरवाया जा रहा है. दरअसल, भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए क्लिनिकल ट्रायल मोड में मंजरी दी गई. इसमें वैक्सीनशन के दौरान वैक्सीन लेने वाले को तीन डॉक्यूमेंट दिए जाते हैं. पहला फैक्ट शीट दी जाती है, जिसमें ये जानकारी होती है कि वैक्सीन किसे दी जा सकती है. दूसरा कंसेंट फॉर्म होता है. इसका मतलब है कि सभी चीजों को समझने के बाद सहमति दी जा रही है और तीसरा एडवर्स इवेंट फॉर्म होता है.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि पहला फॉर्म वैक्सीन लेने वाले को पढ़कर समझाया जाता है और समझने के बाद दूसरे फॉर्म से उससे सहमति ली जाती है. इसके बाद उसे वैक्सीन दी जाती है. वहीं तीसरा फॉर्म वैक्सीन लेने वाले को अगले सात दिनों तक खुद भरना होता है. जिसमें वो अपने स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां भरता है. वैक्सीन मिलने के बाद सात दिनों तक स्वास्थ्य पर नजर रखी जाती है और कुछ होने पर इलाज का खर्च अथॉरिटी उठाती है.
कंसेंट फॉर्म में क्या लिखा है? कंसेंट फॉर्म में लिखा गया है, 'वैक्सीन के बारे में सारी जानकारी दी गई है और समझाई गई है. इस बात की भी जानकारी दी गई है की इस वैक्सीन की दो डोज देने पर ये कारगर होती है. वहीं इस बारें में सवालों के जवाब भी दिए गए और मैं संतुष्ट हूं. इन सबको समझने के बाद इसके फायदे और रिस्क जानने के बाद में निवेदन करता हूं कि वैक्सीन मुझे दी जाए.' इसके साथ ही कंसेंट फॉर्म में वैक्सीन लेने वाले का नाम, उम्र, तारीख और समय लिखा जाता है. कौन-सी तारीख को कौन सी डोज लगी है, किस कंपनी की है, बैच नम्बर, वैक्सीनेटर का नाम जैसी जानकरी भी भरी जाती है. इसके बाद वैक्सीन लगने वाले की सारी जानकारी, नाम, पता, ईमेल, फोन नंबर जैसी जानकारी लिखनी होती है और आखिर में वैक्सीन लेने वाले के दस्तखत होते है. ये प्रक्रिया सिर्फ भारत बायोटेक की वैक्सीन लगने पर ही करनी होगी.
वहीं दूसरी वैक्सीन सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड के लिए कोई कंसेंट फॉर्म नहीं भरना होता है. वैक्सीन लेने के बाद आधे घंटे ऑब्जर्व किया जाता है और घर जाने दिया जाता है. घर जाने पर अगर कोई दिक्कत आती है तो वैक्सीन लेने वाले को बताना होगा की क्या दिक्कत है. वहीं कोवैक्सीन लेने वाले को डॉक्टर अगले सात दिनों तक फोन करके हालचाल जानते है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दोनों वैक्सीन सुरक्षित हैं और ठीक है. सब कुछ सही पाए जाने पर ही डीसीजीआई ने इसे महामारी में रिस्ट्रिक्टेड इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दी है.
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