Indian Constitution Day 2022: संविधान दिवस के अवसर पर केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरण रिजिजू (Kiren Rijiju) ने एक कार्यक्रम में कई बड़ी बातें कही. कानून मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की इच्छा के अनुसार कानूनी सामग्री का अनुवाद देश की क्षेत्रीय भाषाओं में किया जाएगा. इसके लिए कानून बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पूर्व चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता में कानून मंत्रालय की मदद से एक समिति बनाई है.
कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि भारत (India) जैसे विशाल देश में जहां कुल आबादी का 65 फीसदी अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है और जहां क्षेत्रीय और स्थानीय भाषा समझने का माध्यम है, इसलिए हमने कानूनी सामग्री का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि विधायी विभाग ने 65,000 कानूनी शब्दों की एक शब्दावली तैयार की है. हमारी योजना इसे डिजिटाइज करने की है ताकि आम लोग इसका आसानी से इस्तेमाल कर सकें. इसके अलावा हमारी कोशिश क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित कानूनी शब्दावली को इकट्ठा कर उसे आसानी से जनता के लिए उपलब्ध कराना है.
क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार होगी कानूनी शब्दावली
किरण रिजिजू ने कहा कि बोबडे समिति पहले कदम के रूप में क्षेत्रीय भाषाओं में कानूनी सामग्री का अनुवाद करने के लिए सभी भारतीय भाषाओं की एक सामान्य आधारभूत कानूनी शब्दावली तैयारी करेगी. इसके साथ ही समिति कानून की विभिन्न शाखाओं में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों और वाक्यांशों को लिस्ट कर रही है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने कई मौकों पर हमारे देश के आम लोगों का न्यायिक प्रणाली में विश्वास बढ़ाने और उन्हें भी जुड़ा हुआ महसूस कराने के लिए अदालतों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है.
कानून मंत्री ने बाबासाहेब डॉ. बीआर अम्बेडकर के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि हमें नहीं भूलना चाहिए कि इस आजादी ने हम पर बड़ी जिम्मेदारी डाली है. आजादी से हमने कुछ भी गलत होने के लिए अंग्रेजों को दोष देने का बहाना खो दिया है. उन्होंने कहा कि देश की कानूनी सामग्री और कानूनी शब्दावली आम आदमी की समझ में आने वाली स्थानीय भाषा में उपलब्ध नहीं है.
पीएम मोदी ने संविधान दिवस पर क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं. सुप्रीम कोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में पीएम ने कहा कि युवाओं को संविधान की और संविधान जैसे बना, उस प्रक्रिया की जानकारी हो. इससे उनकी रुचि बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि देश 'मदर ऑफ डेमोक्रेसी' के रूप में अपनी प्राचीन धारणाओं और संविधान की भावना को मजबूत कर रहा है.
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