Constitution Day: 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में उठाने वाले मुद्दों और मोदी सरकार को घेरने की रणनीति के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोक सभा और राज्य सभा के वरिष्ठ सांसदों के साथ बैठक की. बैठक में कांग्रेस ने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में शुक्रवार को होने वाले संविधान दिवस कार्यक्रम का बहिष्कार करने का फैसला किया. कुछ अन्य दल भी इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर सकते हैं.
‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के तहत संसद के केंद्रीय कक्ष में शुक्रवार को ‘संविधान दिवस’ पर एक कार्यक्रम का आयोजन होगा जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संबोधित करेंगे. कांग्रेस का आरोप है की मोदी सरकार ही संवैधानिक संस्थाओं समेत लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही है, लिहाज़ा वो इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.
सोनिया गांधी के घर पर हुई बैठक में कांग्रेस ने तय किया कि संसद सत्र के दौरान पार्टी दोनों सदनों में पहले ही दिन तीनों कृषी कानूनों को रद्द करने का दबाव बनाएगी. साथ ही MSP की गारंटी के लिए नए कानून की मांग की जाएगी. यही नहीं कांग्रेस इस सत्र में लखीमपुर खीरी में किसानों पर जीप चलाने के मामले में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री के इस्तीफे की भी मांग करेगी.
कांग्रेस संसद में मोदी सरकार को पेट्रोल और डीज़ल के दामों पर भी घेरेगी और साथ ही कोविड से जान गवां चुके सभी मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवज़ा देने की मांग उठाएगी. सोनिया गांधी के घर हुई बैठक में राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, आनंद शर्मा, ए के एंटनी, मनिक्कम टैगोर, के एस सुरेश, जयराम रमेश, गौरव गोगोई और रवनीत सिंह बिट्टू शामिल हुए.
गौरतलब है कि ममता बनर्जी के एक के बाद एक कांग्रेसी नेताओं को तृणमूल में शामिल कराकर कांग्रेस को चोट पहुंचाने के बावजूद कांग्रेस ने तय किया है कि संसद के अंदर मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस से भी संपर्क साधेगी. हालांकि ममता बनर्जी के तेवर से लगता नहीं कि तृणमूल कांग्रेस इस बार संसद में कांग्रेस के साथ दिखना चाहेगी. इस बात की गुंजाइश ज्यादा है कि तृणमूल कांग्रेस संसद में विपक्ष का अपना अलग ही खेमे तैयार करने की कोशिश करे.