Constitution Day 2022: देश आज (26 नवंबर) को बड़े गर्व के साथ अपना संविधान दिवस मना रहा है. हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. 1949 में आज के ही दिन संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अपनाया था. इसे बनाने में 2 साल से भी ज्यादा का समय लगा था. 26 जनवरी 1950 को संविधान को लागू किया गया था, तब से हम लगातार 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं. 26 नवंबर की तारीख पहले कानून दिवस के रूप में मनाई जाती थी. 


संविधान दिवस पर देश के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कमजोरों, दलितों और पिछड़ों को बराबरी में लाने की बात कही. उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सिर्फ कानून की नहीं, बल्कि मानवीय संघर्ष और उत्थान की कथा को कहता है. उन्होंने कहा कि संविधान ने ही समाज के हाशिए पर खड़े पिछड़े और दलितों को सम्मान दिलाया है. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के राज में और उससे पहले अदालतों में भी नागरिकों का हनन होता था लेकिन संविधान ने इस पर रोक लगाई है. 


न्याय पर सभी का अधिकार- CJI चंद्रचूड़


सीजेआई ने संविधान को एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया बताया. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चीफ जस्टिस होने के नाते मेरा दायित्व है कि हर भारतवासी के लिए न्याय को सुलभ बनाऊं. उन्होंने कहा कि मेरा दायित्व है कि सुप्रीम कोर्ट और जिला स्तर की अदालतों के साथ मिलकर हाशिए पर मौजूद लोगों को न्याय दिला सकूं. उन्होंने कहा कि किसी भी सभ्य देश के लिए यह आवश्यक है कि अदालतें लोगों तक पहुंचे, वे लोगों के कोर्टरूम आने का इंतजार न करें. 


न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाने की जरूरत


चीफ जस्टिस ने कहा कि मेरा सभी हाईकोर्ट और जिला अदालतों से अनुरोध है कि वे इस ढांचे को खत्म करने की नहीं, बल्कि आगे बढ़ाने की दिशा में काम करें. इससे हम सिस्टम को और सुविधाजनक बनाकर रख सकते हैं. उन्होंने कहा कि न्यायपालिकाओं ने कोविड महामारी के दौरान भी तकनीकि ढांचे को मजबूत करके जनता तक न्याय पहुंचाया है. अब हमें इसे और मजबूत बनाना होगा. 


पेपरलेस डिजिटल ग्रीन कोर्ट की तैयारी


प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि राष्ट्रपति आज कई योजनाओं की शुरुआत करेंगी. वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, डैश बोर्ड और जस्टिस मोबाइल ऐप सहित कई तकनीकी सुविधाओं को शुरू किया जाना है. इनसे लोगों को न्याय पाने में आसानी होगी. उन्होंने कहा कि अब पेपरलेस डिजिटल ग्रीन कोर्ट बनाई जाएगी. भारतीय न्यायपालिका जनता के द्वार तक जाकर न्याय उपलब्ध कराने के लिए तैयार है. युवा सोच न्याय सुलभ कराने की इस मुहिम में आगे आए.


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